भक्ति की मिसाल: सुमसा सुपारी की तीसरी पैदल रामदेवरा यात्रा
राजस्थानी रैपर और कलाकार सुमसा सुपारी ने एक बार फिर अपनी गहरी आस्था और भक्ति को दर्शाते हुए रामदेवरा की पैदल यात्रा पूरी कर रहे है।

सुमसा सुपारी, जिनका असली नाम सुमेर राम खड़ाव है, आज राजस्थान के एक प्रेरणादायक चेहरे के रूप में उभरे हैं। एक किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले इस 29 वर्षीय कलाकार ने अपनी रैप और लोक संगीत के अनूठे मिश्रण से न केवल राजस्थानी संस्कृति को नई पहचान दी, बल्कि अपनी गहरी आस्था और सादगी से भी लोगों के दिलों में जगह बनाई।
सुमसा सुपारी ने एक बार फिर अपनी गहरी आस्था और समर्पण का परिचय देते हुए रामदेवरा की तीसरी पैदल यात्रा पूरी कर रहे हैं। यह यात्रा न केवल उनकी व्यक्तिगत भक्ति का प्रतीक है, बल्कि यह आज के समय में सादगी और सच्चाई के साथ आध्यात्मिकता को जीने का एक प्रेरणादायक उदाहरण भी प्रस्तुत करती है। सुमसा सुपारी की इस यात्रा ने उनके प्रशंसकों और आम लोगों के बीच एक गहरा संदेश छोड़ा है कि सच्ची भक्ति दिखावे में नहीं, बल्कि दिल की गहराइयों में बसती है।
सुमसा सुपारी की इस 5 दिनों की यात्रा में उन्होंने न तो किसी वाहन का सहारा लिया और न ही रास्ते में किसी विशेष सुविधा का उपयोग किया। केवल एक-दो मित्रों के साथ और न्यूनतम भोजन के साथ शुरू की गई इस यात्रा में उन्होंने हर कदम पर अपनी श्रद्धा को प्राथमिकता दी। उन्होंने भीड़भाड़ से बचने के लिए उस समय को चुना जब रामदेवरा में अपेक्षाकृत कम श्रद्धालु होते हैं, जिससे उनकी यात्रा और भी शांतिपूर्ण और आत्मिक रही। सुमसा ने कहा, “अगर आस्था दिल से हो, तो उसे निभाना भी दिल से चाहिए। यह यात्रा दिखावे के लिए नहीं, बल्कि आत्मा की सच्ची लगन से होती है।”
आज के दौर में, जब धार्मिक यात्राएं अक्सर बड़े समूहों, प्रचार और सुविधाओं के साथ की जाती हैं, सुमसा सुपारी की सादगी भरी यात्रा एक अनूठा संदेश देती है। उन्होंने अपनी इस यात्रा को पूरी तरह आध्यात्मिक अनुभव में बदला, जिसमें कोई दिखावा या बाहरी प्रदर्शन नहीं था। उनकी यह सादगी न केवल उनके प्रशंसकों के लिए, बल्कि समाज के हर वर्ग के लिए एक प्रेरणा है। सुमसा की यह यात्रा इस बात का जीवंत उदाहरण है कि सच्ची भक्ति में सादगी और समर्पण ही सबसे बड़ा आभूषण है।
सुमसा सुपारी, जो अपनी रैप कला और राजस्थानी संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए जाने जाते हैं, हर साल इस तरह की यात्रा करते हैं। उनकी यह तीसरी रामदेवरा यात्रा उनके प्रशंसकों के बीच चर्चा का विषय बन गई है। उनकी यात्रा का एक खास पहलू यह है कि वह इसे पूरी तरह निजी और आत्मिक अनुभव के रूप में लेते हैं, जिसमें बाहरी शोर या प्रचार की कोई जगह नहीं होती। उनके इस दृष्टिकोण ने न केवल उनके प्रशंसकों को प्रभावित किया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि आस्था का मार्ग सरलता और सच्चाई से होकर जाता है।