हिंदी भाषा और व्याकरण: मानवीय संस्कारों से रोज़गार तक की यात्रा

भाषा केवल संप्रेषण का माध्यम नहीं होती, बल्कि यह समाज की आत्मा, संस्कृति की वाहक और मानवीय संवेदनाओं की अभिव्यक्ति का सबसे सशक्त साधन होती है।

May 23, 2025 - 12:25
May 23, 2025 - 12:26
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हिंदी भाषा और व्याकरण: मानवीय संस्कारों से रोज़गार तक की यात्रा
हिंदी भाषा और व्याकरण: मानवीय संस्कारों से रोज़गार तक की यात्रा ।

नई दिल्ली : भाषा केवल संप्रेषण का माध्यम नहीं होतीबल्कि यह समाज की आत्मासंस्कृति की वाहक और मानवीय संवेदनाओं की अभिव्यक्ति का सबसे सशक्त साधन होती है। हिंदीहमारी मातृभाषा केवल भारत के विशाल भूभाग में संवाद का माध्यम हैबल्कि यह करोड़ों लोगों की पहचानसोच और संस्कारों की वाहिका भी है। भाषा की आत्मा उसका व्याकरण होता हैजो उसे शुद्धतास्पष्टता और सौंदर्य प्रदान करता है। हिंदी भाषा और व्याकरण का यह संगम केवल भावनाओं की अभिव्यक्ति करता हैबल्कि व्यक्ति को सामाजिकनैतिक व्यावसायिक स्तर पर दक्षसक्षम और संवेदनशील बनाता है।

1. भाषा और व्याकरण: संस्कारों का आधार

बचपन में जब कोई बालक भाषा सीखता हैतो वह केवल शब्दों और वाक्यों को नहींबल्कि व्यवहारसंस्कृति और मूल्यों को आत्मसात करता है। 'नमस्तेकहनाबड़ों को 'आपकहकर संबोधित करनासंवाद में विनम्रता रखना — ये केवल भाषायी क्रियाएं नहीं हैंये हमारी सामाजिक चेतना के अंग हैं।

हिंदी व्याकरण में मौजूद 'संबोधन विभक्ति', 'क्रियाओं की विनम्रताऔर 'शुद्ध उच्चारणकेवल तकनीकी बातें नहीं हैंबल्कि ये संवाद की मर्यादा और आदर-संवोधन की गूढ़ समझ भी प्रदान करती हैं।

भाषा में व्याकरण वही भूमिका निभाता हैजो शरीर में रीढ़ की हड्डी निभाती है। वह भाषा को संरचनासंतुलन और सौंदर्य प्रदान करता है। सही व्याकरण से युक्त भाषा केवल स्पष्ट होती हैबल्कि वह सामाजिक व्यवहार का दर्पण भी बनती है।

2. भावनात्मक बौद्धिकता और भाषा

आज के युग में ‘भावनात्मक बुद्धिमत्ता’ (Emotional Intelligence) को सफलता का अनिवार्य गुण माना जाता है। यह केवल निर्णय लेने या संकट में संतुलन बनाए रखने की क्षमता नहींबल्कि दूसरों की बात समझनेसंवेदना व्यक्त करने और सहयोग की भावना को विकसित करने का माध्यम भी है।

हिंदी भाषाविशेषकर उसकी काव्यात्मकतामुहावरोंलोकोक्तियों और संवाद शैली के माध्यम से यह भावनात्मक समझ उत्पन्न करती है। एक संवेदनशील भाषा के रूप में हिंदी अपने वक्ता को एक बेहतर श्रोतासहकर्मीनेता और नागरिक बनने की क्षमता देती है।

3. रोजगार के बदलते परिदृश्य में भाषा की भूमिका

21वीं सदी का रोजगार बाजार केवल डिग्रियों और तकनीकी ज्ञान के आधार पर निर्णय नहीं लेता। अब कंपनियां और संस्थाएं ऐसे व्यक्तियों को प्राथमिकता देती हैं जो प्रभावी संवाद कर सकेंटीम में काम कर सकेंऔर विभिन्न भाषायी-सांस्कृतिक संदर्भों को समझते हुए व्यावसायिक संबंध बना सकें।

कुछ प्रमुख क्षेत्रों में हिंदी भाषा का प्रभावी योगदान:

  • शिक्षा एवं शोध: आज शैक्षणिक संस्थानों में विषयवस्तु को मातृभाषा में समझानाशोध करना और विद्यार्थियों से संवाद करना एक महत्वपूर्ण कौशल है। हिंदी में लेखनप्रस्तुति और अध्यापन की क्षमता आपको इस क्षेत्र में अग्रणी बना सकती है।

  • पत्रकारिता एवं मीडिया: हिंदी पत्रकारिता देश के सबसे बड़े मीडिया उपभोक्ताओं में से एक को संबोधित करती है। प्रिंटडिजिटल और टेलीविजन मीडिया में शुद्धसटीक और प्रभावी हिंदी लेखन वाचन कौशल की भारी मांग है।

  • सृजनात्मक लेखन एवं अनुवाद: साहित्यपटकथा लेखनवेब सीरीज़विज्ञापनफिल्म आदि में हिंदी की सृजनात्मकता की अपार संभावना है। इसके अतिरिक्तक्षेत्रीय भाषाओं और वैश्विक भाषाओं से हिंदी में अनुवाद एक उभरता हुआ पेशेवर क्षेत्र है।

  • प्रशासनिक सेवाएं: सिविल सेवा परीक्षा सहित अनेक प्रशासनिक सेवाओं में हिंदी भाषा में गहरी समझ और प्रभावी अभिव्यक्ति सफलता की कुंजी बन सकती है।

  • कॉर्पोरेट जनसंपर्क: बहुराष्ट्रीय कंपनियों और स्थानीय संस्थाओं को ऐसे लोग चाहिए जो हिंदी में ग्राहकों से संवाद कर सकेंरिपोर्ट तैयार कर सकें और अंदरूनी टीमों के बीच पुल बना सकें।

4. व्याकरण: दक्षता और विश्वसनीयता का आधार

आज जब डिजिटल और वैश्विक संवाद तेज़ी से बढ़ रहा हैसही भाषा और व्याकरण की आवश्यकता और भी महत्वपूर्ण हो गई है। सोशल मीडिया पोस्टईमेलरिपोर्टप्रस्तुतियाँ — सबमें भाषा की स्पष्टता और शुद्धता ही व्यक्ति की विशेषज्ञता और विश्वसनीयता दर्शाती है।

हिंदी व्याकरण जैसे समासकारककालवाच्यअलंकार आदि केवल भाषा को समृद्ध बनाते हैंबल्कि व्यक्ति के चिंतन और अभिव्यक्ति को गहराई और सौंदर्य प्रदान करते हैं। व्याकरण के अभ्यास से तार्किक क्षमताएकाग्रता और अनुशासन का विकास होता है — जो किसी भी क्षेत्र में सफलता के लिए आवश्यक हैं।

5. डिजिटल युग और हिंदी भाषा

आज डिजिटल क्रांति के युग में हिंदी अपनी नई पहचान बना रही है। मोबाइल एप्सवेबसाइट्सब्लॉग्सयूट्यूब चैनल्सपॉडकास्ट्स और सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर हिंदी के उपयोग ने लाखों युवाओं को केवल अपनी बात कहने का मंच दिया हैबल्कि उन्हें स्वतंत्ररचनात्मक और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर भी बनाया है।

हिंदी कंटेंट क्रिएटरट्रांसक्रिप्शन विशेषज्ञडिजिटल मार्केटरसोशल मीडिया मैनेजर जैसे अनेक नए प्रोफेशनल रोल हिंदी भाषा-ज्ञान पर आधारित हैं। ऐसे में हिंदी भाषा और व्याकरण का सशक्त ज्ञानडिजिटल युग के अवसरों का लाभ उठाने में सहायक बनता है।

6. भाषा और व्यक्तित्व विकास

हिंदी भाषा केवल करियर का साधन नहींयह हमारे व्यक्तित्व का निर्माण करती है। वह हमें अभिव्यक्ति की शक्तिविचारों की गहराई और संवाद की मर्यादा सिखाती है। एक ऐसा व्यक्ति जो प्रभावी ढंग से हिंदी में विचार रख सकता हैउसमें आत्मविश्वासनेतृत्व क्षमता और संवेदनशीलता जैसे गुण स्वतः विकसित होते हैं।

व्याकरण की समझ व्यक्ति को केवल भाषायी रूप से सक्षम नहीं बनातीबल्कि वह तार्किकसंयमित और विवेकशील भी बनाता है।

हिंदी भाषा और उसका व्याकरण केवल शैक्षिक विषय नहीं हैंबल्कि ये मानवीय जीवन की संरचना के मूल आधार हैं। ये हमें केवल शब्दों की दुनिया में दक्ष नहीं बनातेबल्कि संस्कारसह-अस्तित्वसंवाद और सहिष्णुता जैसे गुणों से समृद्ध करते हैं। आज जब भविष्य की दुनिया बहुभाषायीभावनात्मक और संवाद-प्रधान होती जा रही हैहिंदी भाषा और व्याकरण की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।

हमें यह समझना होगा कि भाषा केवल रोज़गार का साधन नहींबल्कि एक समृद्धसुसंस्कृत और सार्थक जीवन की कुंजी भी है। यदि हम हिंदी भाषा और व्याकरण को अपने जीवन में आदरपूर्वक स्थान देंतो हम केवल एक सफल पेशेवर बन सकते हैंबल्कि एक सजगसुसंस्कृत और सहृदय नागरिक भी बन सकते हैं।

  • ©® डॉ ऋषि शर्मा

  • प्रकाशन प्रबंधक भाषा

  • न्यू सरस्वती हाउस प्रकाशन

  • प्रमुख संपादक गुंजार, गूँज हिंदी की, शैक्षिक त्रैमासिक पत्रिका।

  • संस्थापक: हिंदगी ,हिंदी है ज़िंदगी समूह

Mamta Choudhary Admin - News Desk