संस्कार जीवित रखना है तो भाषा का सम्मान करना होगा : मेहता
कोलकाता। अगर हमें अपने संस्कारों को जीवित रखना है तो हमें अपनी भाषा का सम्मान करना होगा। राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार व माणक पत्रिका के संपादक पदम मेहता ने अपने अभिनंदन समारोह के दौरान रविवार को बड़ा बाजार के ओसवाल भवन सभागार में ये बातें कही। कोलकाता की सामाजिक संस्था राजस्थान परिषद व 35 अन्य संस्थाओं के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को मेहता का नागरिक अभिनंदन किया गया।
मेहता ने समारोह में राजस्थानी भाषा में अपनी बात रखते हुए राजस्थानी साहित्य का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि यदि संस्कार को जीवित रखना है तो अपनी भाषा का सम्मान करना होगा। यह बात हमें नई पीढ़ी को जरूर बतानी चाहिए। हमें नई पीढ़ी को जोर देकर अपनी मातृभाषा को सम्मान देने के लिए कहना होगा। भाषा से संस्कार है और संस्कार से ही हमारी पहचान है।
जिम्मेदारी और भी बढ़ गई
समारोह में गाये गीत की प्रशंसा करते हुए मेहता ने कहा की राजस्थानी भाषा बहुत गूढ़ है इसे प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। मेहता ने कहा की मुझे मिले इस सम्मान से मेरी जिम्मेदारी ओर भी बढ़ गई है जिसे निभाने की मैं पूरी कोशिश करूँगा।
इन्होने किया अभिनंदन
पार्षद मीनादेवी पुरोहित, पार्षद विजय ओझा पूर्णिमा कोठारी सहित विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के गणमान्य जनों ने माला पहनाकर मेहता का अभिनंदन किया। गायक सत्यनारायण तिवाड़ी ने संगीतमय गीत की प्रस्तुति दी।
राजस्थान परिषद के महामंत्री अरुण प्रकाश मल्लावत ने तिलक लगाकर तथा राजकुमार व्यास ने श्रीफल भेंट कर मेहता का सम्मान किया। बतौर विशिष्ट अतिथि राजस्थान परिषद के अध्यक्ष एवं अधिवक्ता शार्दुल सिंह जैन मंच पर उपस्थित थे। समारोह अध्यक्ष प्रसिद्ध साहित्यकार कुमारसभा अध्यक्ष
प्रेमशंकर ने कहा कि भाषा
की शक्ति पहचानने से हमारे बच्चे वंचित हो रहे है। समारोह को सफल बनाने में राजस्थान परिषद के उपाध्यक्ष महावीर बजाज आदि सक्रिय रहे। समापन कन्हैयालाल सेठिया की कृति धरती धोरां री के साथ हुआ।