घर की मददगारों को 'नौकर' मत कहो, परिवार का हिस्सा समझो – राज कुंद्रा का आह्वान
कुंद्रा के शब्द इस विचार का समर्थन करते हैं कि घर के कामों में सहयोग करने वाले लोग केवल नौकर नहीं हैं, बल्कि परिवार की संरचना के अभिन्न अंग हैं।

हाल ही में हुई एक घटना से, शब्दों के चयन में संवेदनशीलता और सम्मान की जरूरत रेखांकित हुई है। उद्यमी से अभिनेता बने राज कुंद्रा ने घर-खानदान के सिलसिले में "नौकर" शब्द का इस्तेमाल रोकने की वकालत की है। दरअसल, कुंद्रा एक रियल एस्टेट एजेंट से बात कर रहे थे, जिसने घर के एक कमरे को "नौकरों का कमरा" कहकर संबोधित किया।
इस पर चिंता व्यक्त करते हुए, कुंद्रा ने ऐसी भाषा छोड़ने पर जोर दिया, "नौकर शब्द का इस्तेमाल बंद करने की ज़रूरत है! ये घर की मददगार हैं, जो परिवार के ही सदस्य बन जाते हैं!" राज कुंद्रा का रुख इस बात को दर्शाता है कि घरेलू कर्मचारियों के साथ सम्मान और मानवता के साथ पेश आने की जागरूकता बढ़ रही है।
उनका ये आह्वान घरेलू कर्मचारियों की गरिमा और मानवता को पहचानने की ओर समाज के व्यापक बदलाव को दर्शाता है। कुंद्रा के शब्द इस विचार का समर्थन करते हैं कि घर के कामों में सहयोग करने वाले लोग केवल नौकर नहीं हैं, बल्कि परिवार की संरचना के अभिन्न अंग हैं।
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