व्यापारियों ने निकाला मौन जुलूस, राष्ट्रपति के नाम एसडीएम को सौपा ज्ञापन
झारखंड सरकार और केंद्रीय वन मंत्रालय ने जैन तीर्थकर स्थल को वन्यजीव अभ्यारण्य का हिस्सा घोषित करने के साथ-साथ सार्वजनिक ईको-पर्यटन की अनुमति दे दी है।
जालोर न्यूज़ डेस्क,झारखंड राज्य के गिरिडीह जिले में सम्मेद शिखरजी के पवित्र तीर्थ स्थल को पर्यटन स्थल घोषित किये जाने के विरोध में जैन समुदाय के साथ व्यापारियों ने बुधवार को सांचौर में मौन जुलूस निकाला और राष्ट्रपति के नाम एसडीएम को ज्ञापन दिया.
जिसमें बताया गया कि 24 में से 20 जैन तीर्थंकरों ने सम्मेद शिखरजी के पवित्र तीर्थ स्थल पर मोक्ष प्राप्त किया था। इसमें पूरी दुनिया के जैन समुदाय की अटूट धार्मिक मान्यताएं हैं।
झारखंड सरकार और केंद्रीय वन मंत्रालय ने जैन तीर्थकर स्थल को वन्यजीव अभ्यारण्य का हिस्सा घोषित करने के साथ-साथ सार्वजनिक ईको-पर्यटन की अनुमति दे दी है। जिससे तीर्थ की स्वतंत्र पहचान और पवित्रता नष्ट होने के कगार पर है। सरकार के इस फैसले से सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के फैसले का जैन समुदाय के लोग विरोध कर रहे हैं.
उन्होंने बताया कि जिस तरह सरकार ने अन्य धर्मों के तीर्थ स्थलों को बचाया है, उसी तरह सम्मेद शिखरजी को भी केवल धार्मिक तीर्थ के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए। पर्यटन शुरू होने से तीर्थ क्षेत्र की गरिमा और पवित्रता भी समाप्त हो जाएगी। जैन समाज के सबसे पवित्र और प्राचीन सम्मेद शिखरजी तीर्थंकर ने भगवान की पूजा करके मोक्ष प्राप्त किया। यह सम्मेद शिखरजी जैन समुदाय के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण एवं पवित्र स्थान है, इसे पर्यटन स्थल घोषित करने से इसकी पवित्रता एवं इतिहास पर बहुत फर्क पड़ सकता है। जैन समाज एक अहिंसक समाज है। भारत की अर्थव्यवस्था और समाज सेवा में भी उनका बहुत बड़ा योगदान है। इसलिए जैन समाज के पवित्र स्थल सम्मेद शिखरजी झारखंड को सार्वजनिक पर्यटन स्थल घोषित न किया जाए।
इस दौरान पुखराज भंसाली हडेचा, सभापति सांचौर नरेश सेठ, पार्षद कपूर जैन, सुमेर जैन, केवल बोहरा, मोहन मालू, ट्रेड यूनियन अध्यक्ष हरीश सीलू, अशोक बोहरा, बाबूलाल जैन, मूलचंद जैन, गोतम बोथरा, श्रीपाल लूनिया, दिनेश बोहरा, महेंद्र मालू शोभायात्रा में नरेश जैन, सिद्धार्थ, पीयूष, सुनील बोथरा समेत सैकड़ों की संख्या में पुरुष, महिलाएं व छोटे-छोटे बच्चे मौजूद रहे.