क्रिकेटर मिताली राज और बॉलीवुड एक्ट्रेस तापसी ने जयपुर में किया आने वाली फिल्म शाबाश मिठू का प्रमोशन
तापसी ने बताया कि मेरा बॉलीवुड में आना इंसिडेंट था। मैं जॉब करके खुश रहना चाहती थी। आज 12 साल इंडस्ट्री में हो गए हैं। कुछ भी प्लान नहीं था। कोई गाइड करने वाला नहीं था और न ही कोई सपोर्ट था। शायद मैं यहां इसलिए हूं, क्योंकि पब्लिक मुझे देखना चाहती थी। मेरा मानना है, कि मेरे गृह अच्छे चल रहे हैं।
राजधानी जयपुर में रविवार को टोंक रोड स्थित होटल मैरियट में क्रिकेटर मिताली राज और बॉलीवुड एक्ट्रेस तापसी ने अपनी आने वाली फिल्म शाबाश मिठू का प्रमोशन किया और प्रेस कांफ्रेंस में हिस्सा लिया। इस दौरान दोनों ने ही बड़ी बेबाकी से अपनी बात सबके सामने रखी और फिल्म से जुड़े सवालों का जवाब दिया। इसके साथ ही दोनों जयपुर में एक स्पोर्ट्स एकेडमी में गए और महिलाओं के साथ क्रिकेट खेला। विजेता टीम को इनाम वितरित किए। स्पोर्ट्स एकेडमी के अरुण लोढ़ा ने बताया, दोनों स्टार यहां आम लोगों के बीच आकर उत्साहित नजर आई।
मिताली ने बताया कि मेरे कॅरियर में विराट की तरह तो नहीं, लेकिन एक सीरीज के दौरान खराब दौर आया था। उस समय मेरे कोच और साथियों ने मोटिवेट किया और मैं कमबेक कर पाई। बात की जाए कॅरियर की तो मैं क्लासिकल डांस सीखती थी, लेकिन मेरे पिता ने मुझे क्रिकेट में डाला और कम उम्र से ही क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया। ये ही कारण है, मैं कभी गली क्रिकेट नहीं खेल पाई। अब 23 साल के लंबे कॅरियर के बाद नई जनरेशन को मोटिवेट कर रही हूं।
तापसी ने बताया कि मेरा बॉलीवुड में आना इंसिडेंट था। मैं जॉब करके खुश रहना चाहती थी। आज 12 साल इंडस्ट्री में हो गए हैं। कुछ भी प्लान नहीं था। कोई गाइड करने वाला नहीं था और न ही कोई सपोर्ट था। शायद मैं यहां इसलिए हूं, क्योंकि पब्लिक मुझे देखना चाहती थी। मेरा मानना है, कि मेरे गृह अच्छे चल रहे हैं।
मूवी में मिताली की जिंदगी को वैसा ही दिखाया गया है, जैसी उनकी जिंदगी थी। इसमें कुछ भी अदल-बदल नहीं है। मूवी मेरे पास आई थी तो स्क्रिप्ट नहीं थी। निर्माता चाहते थे, कि मैं क्रिकेट सीखूंगी। मैं उत्साहित थी, कि मुझे मौका मिल रहा है इस मूवी को करने का। क्योंकि वुमन क्रिकेट पर पहली बार मूवी बन रही थी। जब क्रिकेट खेलना पड़ा तो लगा, कि लाइफ में पहले क्रिकेट क्यों नहीं खेला? और नहीं खेला तो मूवी के लिए हां क्यों किया। क्योंकि पहले दिन के दो घंटे तो सिर्फ बैट पकड़ने में ही निकल गए। मेरी गर्दन बहुत दर्द कर रही थी, लेकिन मैं अपना 100 प्रतिशत देना चाहती थी।