बूंदी के चावल ,केरल के मसाला उत्पाद एवं जैविक मसाले बने विशेष आकर्षण के केन्द्र

May 5, 2022 - 00:04
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बूंदी के चावल ,केरल के मसाला उत्पाद एवं जैविक मसाले बने विशेष आकर्षण के केन्द्र

राष्ट्रीय सहकार मसाला मेला- 2022

प्रमुख शासन सचिव, सहकारिता ने किया मसाला मेले का अवलोकन

बूंदी के चावल ,केरल के मसाला उत्पाद एवं जैविक मसाले बने विशेष आकर्षण के केन्द्र

प्रमुख शासन सचिव, सहकारिता श्रेया गुहा ने कहा कि राष्ट्रीय सहकार मसाला मेला, 2022 का आयोजन सहकारिता विभाग का एक अनूठा प्रयास है जिसके माध्यम से हम शुद्ध मसालों एवं खाद्य पदार्थों को आमजन की रसोई तक पहुंचा कर वर्तमान एवं आगे की पीढ़ी के स्वास्थ्य को समृद्ध बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस मेले के माध्यम से हम एक ही छत के नीचे प्रदेश के सभी क्षेत्रों के साथ-साथ केरल, तमिलनाड़ु, पंजाब जैसे राज्योेंं के विशिष्ट मसालों एवं उत्पादों को पूर्ण शुद्धता के साथ उचित मूल्य पर उपलब्ध करा रहे हैं।

गुहा ने बुधवार को जवाहर कला केेंद्र में 09 मई तक आयोजित हो रहे राष्ट्रीय सहकार मसाला मेला-2022 का विजिट करते हुये कहा कि सहकारिता का मूल उद्देश्य आमजन कोगुणवत्तापूर्णएवं विश्वसनीय सेवाओं के माध्यम से सहकारिता की भावना को साकार करना है। उन्होंने कहा कि भविष्य में और नवाचारों के माध्यम से राज्य में सहकारिता एक विशिष्ट पहचान कायम करेगा। श्रेया गुहा ने इस मौके पर मसाला विक्रेताओं एवं उपभोक्ताओं से मिलकर मेले का फीडबैक भी लिया।

प्रबंध निदेशक उपभोक्ता संघ वी के वर्मा ने बताया कि मेले में जयपुरवासियों द्वारा अपनी आवश्यकता के अनुसार मसालों एवं अन्य उत्पादों की खरीद की जा रही है। उन्होंने बताया कि मेले में प्रतिदिन औसतन 10 से 12 लाख रुपये की बिक्री दर्ज की गई है और पांच दिनों मेंं 50 लाख से अधिक मूल्य के मसालों की बिक्री हो चुकी है। उन्होंने बताया कि उपभोक्ताओं को रोजाना लकी ड्रा निकाला जा रहा है।

उन्होंने बताया कि मेले में लोगों को बूंदी का चावल जिसे राजस्थान का बासमती चावल भी कहा जाता है, बहुत लुभा रहा है। गृहणियां विशेष तौर बूंदी के इस बासमती चावल की खरीददारी कर रही हैं। मेले में केरल से आई मार्कफैड के स्टॉल पर काली मिर्च, इलायची, लोंग, बड़ी इलायची, जावित्री, काजू, दालचीनी सहित केरल राज्य के विशेष उत्पाद लोगों के मन को भा रहे हैं। कॉनफैड़ द्वारा पहली बार जैविक मसालों की बिक्री की जा रही है जिसे लोगों द्वारा बड़ी मात्रा में पसंद किया गया है।

मेले में अलग-अलग दिनों में राजस्थान की कला एवं संस्कृति को समृद्ध बनाने वाले लोक उत्सव भी आयोजित किये जा रहे हैं।