शेखर सुमन ने साहिर लुधियानवी को दी मंच पर जीवंत श्रद्धांजलि

शेखर सुमन ने नाटक 'एक मुलाक़ात' में साहिर लुधियानवी की गहराई और अमृता प्रीतम के साथ उनके अनकहे प्रेम को मंच पर जीवंत किया, यह नाटक कविता, प्रेम और अधूरे संबंधों की भावनात्मक यात्रा को दर्शाता है।

Sun, 20 Jul 2025 02:28 AM (IST)
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शेखर सुमन ने साहिर लुधियानवी को दी मंच पर जीवंत श्रद्धांजलि
शेखर सुमन ने साहिर लुधियानवी को दी मंच पर जीवंत श्रद्धांजलि

मुंबई (अनिल बेदाग): भारतीय रंगमंच के इतिहास में कुछ प्रस्तुतियाँ ऐसी होती हैं जो न केवल सराही जाती हैं, बल्कि दर्शकों के हृदय में स्थायी छाप छोड़ जाती हैं। ऐसा ही एक नाटक है "एक मुलाक़ात" — एक कालातीत प्रेम कथा, जो दो महान साहित्यकारों, साहिर लुधियानवी और अमृता प्रीतम की अधूरी मगर अमर प्रेम कहानी को पुनर्जीवित करती है।

प्रख्यात अभिनेता शेखर सुमन और प्रतिभाशाली अभिनेत्री गीतिका त्यागी द्वारा अभिनीत यह नाटक हाल ही में एक बार फिर मंचित किया गया, और दर्शकों की भावनाओं को गहराई से झकझोर गया। शेखर सुमन ने अपने सधे हुए अभिनय के माध्यम से साहिर लुधियानवी की जटिल भावनाओं, उनके भीतर छिपे संघर्ष और अमृता प्रीतम के प्रति उनके मौन प्रेम को इतनी सजीवता से प्रस्तुत किया कि दर्शक भावनाओं में डूबते चले गए।

साहिर लुधियानवी और अमृता प्रीतम की प्रेम कहानी, जिसमें शब्दों से ज़्यादा खामोशियों ने संवाद रचे, उनके पत्रों, कविताओं और नज़रों के ज़रिए व्यक्त हुई, उसे 'एक मुलाक़ात' ने बेहद संजीदगी से मंच पर प्रस्तुत किया। यह नाटक उस एक "काल्पनिक मुलाक़ात" की कल्पना पर आधारित है जिसमें दोनों जिंदगियों के अंतिम मोड़ पर एक बार फिर आमने-सामने आते हैं।

गीतिका त्यागी, जिन्होंने अमृता प्रीतम का किरदार निभाया, ने इस भूमिका में अपनी संजीदगी और बेबाकी से दर्शकों को पूरी तरह बाँध लिया। अमृता के जीवन और प्रेम की उथल-पुथल के भाव, गीतिका ने आंखों और संवादों में बखूबी उतारे।

शेखर सुमन ने कहा, "साहिर लुधियानवी का किरदार निभाना केवल अभिनय नहीं, एक संवेदनात्मक अनुभव है। वे महज़ एक शायर नहीं थे, वे सोच, विद्रोह, प्रेम और खामोश दर्द की आवाज़ थे। 'एक मुलाक़ात' मेरी तरफ़ से साहिर और अमृता के उस अनछुए, मगर अमर रिश्ते को श्रद्धांजलि है। उनके प्रेम की तीव्रता नाटक के हर संवाद में झलकती है।"

"एक मुलाक़ात" सिर्फ़ एक नाटक नहीं, बल्कि भारतीय साहित्य के उन अनकहे पन्नों को जीवंत करती एक दृश्य कविता बन जाता है। इस प्रस्तुति में प्रेम, पीड़ा और अधूरी भावनाओं की वो गहराई देखने को मिलती है, जो शब्दों में कहना कठिन है।

नाट्यप्रेमियों के लिए यह नाटक सिर्फ एक सांस्कृतिक प्रस्तुति नहीं, बल्कि एक अनुभव है — संवेदनाओं का, अधूरे प्रेम का और साहित्यिक उत्कृष्टता का।

Anil Bedag Entertainment Journalist, Mumbai