गरीब कल्याण सम्मेलन, शिमला में प्रधानमंत्री के सम्बोधन का मूल पाठ
हिमाचल प्रदेश के गवर्नर श्रीमान राजेंद्र जी, यहां के लोकप्रिय और कर्मठ मुख्यमंत्री मेरे मित्र श्रीमान जय राम ठाकुर जी, प्रदेश के अध्यक्ष हमारे पुराने साथी श्रीमान सुरेश जी, केंद्र के मंत्री परिषद के मेरे साथियो, सांसदगण, विधायकगण, हिमाचल के सभी जनप्रतिनिधिगण। आज मेरे जीवन में एक विशेष दिवस भी है और उस विशेष दिवस पर इस देवभूमि को प्रणाम करने का मौका मिले, इससे बड़ा जीवन का सौभाग्य क्या हो सकता है। आप इतनी बड़ी तदाद में हमें आशीर्वाद देने के लिए आए मैं आपका बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं।
अभी देश के करोड़ों-करोड़ किसानों को उनके खाते में पीएम किसान सम्मान निधि का पैसा ट्रांसफर हो गया, पैसा उनको मिल भी गया, और आज मुझे शिमला की धरती से देश के 10 करोड़ से भी ज्यादा किसानों के खाते में पैसे पहुंचाने का सौभाग्य मिला है। वे किसान भी शिमला को याद करेंगे, हिमाचल को याद करेंगे, इस देवभूमि को याद करेंगे। मैं इन सभी किसान भाइयों-बहनों को हृदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं, अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं।
साथियों,
ये कार्यक्रम शिमला में है, लेकिन एक प्रकार से ये कार्यक्रम आज पूरे हिंदुस्तान का है। हमारी यहां चर्चा चल रही थी कि सरकार के आठ साल होने पर कैसा कार्यक्रम किया जाए, कौन सा कार्यक्रम किया जाए। तो हमारे नड्डा जी, जो हिमाचल के ही हैं, हमारे जयराम जी; उनकी तरफ से एक सुझाव आया और दोनों सुझाव मुझे बहुत अच्छे लगे। ये आठ वर्ष के निमित्त कल मुझे कोरोनाकाल में जिन बच्चों ने अपने माता और पिता दोनों खो दिए, ऐसे बच्चों का जिम्मा संभालने का अवसर कल मुझे मिला। देश के उन हजारों बच्चों का देखभाल का निर्णय सरकार ने किया, और कल उनको मैंने कुछ पैसे भी भेज दिए डिजिटली। आठ साल की पूर्ति में ऐसा कार्यक्रम होना मन को बहुत सुकून देता है, आनंद देता है।
और फिर मेरे सामने सुझाव आया कि हम एक कार्यक्रम हिमाचल में करें, तो मैंने आंख बंद करके हां कह दिया। क्योंकि मेरे जीवन में हिमाचल का स्थान इतना बड़ा है, इतना बड़ा है और खुशी के पल अगर हिमाचल में आ करके बिताने का मौका मिले तो फिर तो बात ही क्या बनती है जी। आज इसलिए मैंने कहा आठ साल के निमित्त देश का ये महत्वपूर्ण कार्यक्रम आज शिमला की धरती पर हो रहा है, जो कभी मेरी कर्मभूमि रही, मेरे लिए जो देवभूमि है, मेरे लिए जो पुण्यभूमि है। वहां पर मुझे आज देशवासियों को इस देवभूमि से बात करने का मौका मिले, ये अपने-आप में मेरे लिए खुशी अनेक गुना बढ़ा देने वाला काम है। साथियो,
130 करोड़ भारतीयों के सेवक के तौर पर काम करने का मुझे आप सबने जो अवसर दिया, मुझे जो सौभाग्य मिला है, सभी भारतीयों का जो विश्वास मुझे मिला है, अगर आज मैं कुछ कर पाता हूं, दिन-रात दौड़ पाता हूं, तो ये मत सोचिए कि मोदी करता है, ये मत सोचिए कि मोदी दौड़ता है। ये सब तो 130 करोड़ देशवासियों की कृपा से हो रहा है, आशीर्वाद से हो रहा है, उनकी बदौलत हो रहा है, उनकी ताकत से हो रहा है। परिवार के एक सदस्य के तौर पर मैंने कभी भी अपने-आपको उस पद पर देखा नहीं, कल्पना भी नहीं की है, और आज भी नहीं कर रहा हूं कि मैं कोई प्रधानमंत्री हूं। जब फाइल पर साइन करता हूं, एक जिम्मेदारी होती है, तब तो प्रधानमंत्री के दायित्व के रूप में मुझे काम करना होता है। लेकिन उसके बाद फाइल जैसे ही चली जाती है मैं प्रधानमंत्री नहीं रहता हूं, मैं सिर्फ और सिर्फ 130 करोड़ देशवासियों के परिवार का सदस्य बन जाता हूं। आप ही के परिवार के सदस्य के रूप में, एक प्रधान सेवक के रूप में जहां भी रहता हूं, काम करता रहता हूं और आगे भी एक परिवार के सदस्य के नाते, परिवार की आशा-आकांक्षाओं से जुड़ना, 130 करोड़ देशवासियों का परिवार, यही सब कुछ है मेरी जिंदगी में। आप ही हैं सब कुछ मेरी जिंदगी में और ये जिंदगी भी आप ही के लिए है।
और जब हमारी सरकार अपने आठ वर्ष पूरे कर रही है, तो आज मैं फिर से, मैं इस देवभूमि से मेरा संकल्प फिर दोहराउंगा, क्योंकि संकल्प को बार-बार स्मरण करते रहना चाहिए, संकल्प की कभी विस्मृति नहीं होनी चाहिए, और मेरा संकल्प था, आज है, आगे भी रहेगा। जिस संकल्प के लिए जिऊंगा, जिस संकल्प के लिए जूझता रहूंगा, जिस संकल्प के लिए आप सबके साथ चलता रहूंगा, और इसलिए मेरा ये संकल्प है भारतवासी के सम्मान के लिए, हर भारतवासी की सुरक्षा, उस हर भारतवासी की समृद्धि कैसे बढ़े, भारतवासी को सुख-शांति की जिंदगी कैसे मिले, उस एक भाव से गरीब से गरीब हो, दलित हो, पीड़ित हो, शोषित हो, वंचित हो, दूर-सुदूर जंगलों में रहने वाले लोग हों, पहाड़ी की चोटियों पर रहने वाले छुटपुट रहने वाले एकाध-दो परिवार हों, हर किसी का कल्याण करने के लिए, जितना ज्यादा काम कर सकता हूं, उसको करता रहूं, इसी भाव को ले करके मैं आज फिर से एक बार इस देवभूमि से अपने-आपको संकल्पित करता हूं।
साथियो,
हम सभी मिलकर भारत को उस ऊंचाई तक पहुंचाएंगे, जहां पहुंचने का सपना आजादी के लिए मर-मिट जाने वाले लोगों ने देखा था। आजादी के इस अमृत महोत्सव में, भारत के बहुत उज्जवल भविष्य के विश्वास के साथ, भारत की युवा शक्ति, भारत की नारीशक्ति, उस पर पूरा भरोसा रखते हुए मैं आज आपके बीच आया हूं।
साथियों,
जीवन में जब हम बड़े लक्ष्यों की तरफ आगे बढ़ते हैं, तो कई बार ये देखना भी जरूरी होता है कि हम चले कहां से थे, शुरूआत कहां से की थी। और जब उसको याद करते हैं तभी तो हिसाब-किताब का पता चलता है कि कहां से निकले और कहां पहुंचे, हमारी गति कैसी रही, हमारी प्रगति कैसी रही, हमारी उपलब्धियां क्या रहीं। हम अगर 2014 से पहले के दिनों को याद करें, उन दिनों को भूलना मत साथियो, तब जा करके ही आज के दिवसों का मूल्य समझ आएगा। आज की परिस्थितियों को देखें, पता चलेगा साथियो, देश ने बहुत लंबा सफर तय किया है।
2014 से पहले अखबार की सुर्खियों में भरी रहती थी, हैडलाइन बनी रहती थी, टीवी पर चर्चा होती रहती थी। बात क्या होती थी, बात होती थी लूट और खसोट की, बात होती थी भ्रष्टाचार की, बात होती थी घोटालों की, बात होती थी भाई-भतीजावाद की, बात होती थी अफसरशाही की, बात होती थी अटकी-लटकी-भटकी योजनाओं की। लेकिन वक्त बदल चुका है, आज चर्चा होती है सरकारी योजनाओं से मिलने वाले लाभ की। सिरमौर से हमारी कोई समादेवी कह देती है कि मुझे ये लाभ मिल गया। आखिरी घर तक पहुंचने का प्रयास होता है।
गरीबों के हक का पैसा सीधे उनके खातों में पहुंचने की बात होती थी, आज चर्चा होती है दुनिय में भारत के स्टार्टअप की, आज चर्चा होती है, वर्ल्ड बैंक भी चर्चा करता है भारत के Ease of Doing Business की, आज हिंदुस्तान के निर्दोष नागरिक चर्चा करते हैं अपराधियों पर नकेल की हमारी ताकत की, भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस के साथ आगे बढ़ने की।
2014 से पहले की सरकार ने भ्रष्टाचार को सिस्टम का जरूरी हिस्सा मान लिया था, तब की सरकार भ्रष्टाचार से लड़ने की बजाय उसके आगे घुटने टेक चुकी थी, तब देश देख रहा था कि योजनाओं का पैसा जरूरतमंद तक पहुंचने के पहले ही लुट जाता है। लेकिन आज चर्चा जन-धन खातों से मिलने वाले फायदों की हो रही है, जनधन-आधार और मोबाइल से बनी त्रिशक्ति की हो रही है। पहले रसोई में धुआं सहने की मजबूरी थी, आज उज्ज्वला योजना से सिलेंडर पाने की सहूलियत है। पहले खुले में शौच की बेबसी थी, आज घर में शौचालय बनवाकर सम्मान से जीने की आजादी है। पहले इलाज के लिए पैसे जुटाने की बेबसी थी, आज हर गरीब को आयुष्मान भारत का सहारा है। पहले ट्रिपल तलाक का डर था, अब अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ने का हौसला है।
साथियों,
2014 से पहले देश की सुरक्षा को लेकर चिंता थी, आज सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक का गर्व है, हमारी सीमा पहले से ज्यादा सुरक्षित है। पहले देश का नॉर्थ ईस्ट अपने असंतुलित विकास से, भेदभाव से आहत था, दुखी था। आज हमारा नॉर्थ ईस्ट दिल से भी जुड़ा है और आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर से भी जुड़ रहा है। सेवा, सुशासन और गरीबों के कल्याण के लिए बनी हमारी योजनाओं ने लोगों के लिए सरकार के मायने ही बदल दिए हैं। अब सरकार माई-बाप नहीं है, वो वक्त चला गया, अब सरकार सेवक है सेवक, जनता-जनार्दन की सेवक। अब सरकार जीवन में दखल देने के लिए नहीं बल्कि जीवन को आसान बनाने के लिए काम कर रही है। बीते वर्षों में हम विकास की राजनीति को, देश की मुख्यधारा में लाए हैं। विकास की इसी आकांक्षा में लोग स्थिर सरकार चुन रहे हैं, डबल इंजन की सरकार चुन रहे हैं।
साथियों,
हम लोग अक्सर सुनते हैं कि सरकारें आती हैं, जाती हैं, लेकिन सिस्टम वही रहता है। हमारी सरकार ने इस सिस्टम को ही गरीबों के लिए ज्यादा संवेदनशील बनाया, उसमें निरंतर सुधार किए। पीएम आवास योजना हो, स्कॉलरशिप देना हो या फिर पेंशन योजनाएं, टेक्नोलॉजी की मदद से हमने भ्रष्टाचार का स्कोप कम से कम कर दिया है। जिन समस्याओं को पहले Permanent मान लिया गया था, हम उसके Permanent Solution देने का प्रयास कर रहे हैं। जब सेवा, सुशासन और गरीब कल्याण का लक्ष्य हो, तो कैसे काम होता है, इसका एक उदाहरण है Direct Benefit Transfer स्कीम, अभी मैं जो कह रहा था, DBT के माध्यम से, Direct Benefit Scheme के माध्यम से, 10 करोड़ से अधिक किसान परिवारों के बैंक खाते में सीधे 21 हज़ार करोड़ रुपए ट्रांसफर हो गए हैं।
ये हमारे छोटे किसानों की सेवा के लिए हैं, उनके सम्मान की निधि हैं। बीते 8 साल में ऐसे ही DBT के जरिए हमने 22 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा सीधे देशवासियों के अकाउंट में ट्रांसफर किए हैं। और ऐसा नहीं हुआ कि 100 पैसा भेजा तो पहले 85 पैसा लापता हो जाता था। जितने पैसे भेजे, वो पूरे के पूरे सही पते पर, सही लाभार्थियों के बैंक खातों में भेजे गए हैं।
साथियों,
आज इस योजना की वजह से सवा दो लाख करोड़ रुपए की लीकेज रुकी है। पहले यही सवा दो लाख करोड़ रुपए बिचौलियों के हाथों में चले जाते थे, दलालों के हाथों में चले जाते थे। इसी DBT की वजह से देश में सरकारी योजनाओं का गलत लाभ उठाने वाले 9 करोड़ से ज्यादा फर्जी नामों को हमने लिस्ट से हटाया है। आप सोचिए, फर्जी नाम कागजों में चढ़ाकर गैस सब्सिडी, बच्चों की पढ़ाई के लिए भेजी गई फीस, कुपोषण से मुक्ति के लिए भेजा गया पैसा, सब कुछ लूटने का देश में खुला खेल चल रहा था। ये क्या देश के गरीब के साथ अन्याय नहीं था, जो बच्चे उज्ज्वल भविष्य की आशा करते हैं, उन बच्चों के साथ अन्याय नहीं था, क्या ये पाप नहीं था? अगर कोरोना के समय यही 9 करोड़ फर्जी नाम कागजों में रहते तो क्या गरीब को सरकार के प्रयासों का लाभ मिल पाता क्या?
साथियों,
गरीब का जब रोजमर्रा का संघर्ष कम होता है, जब वो सशक्त होता है, तब वो अपनी गरीबी दूर करने के लिए नई ऊर्जा के साथ जुट जाता है। इसी सोच के साथ हमारी सरकार पहले दिन से गरीब को सशक्त करने में जुटी है। हमने उसके जीवन की एक-एक चिंता को कम करने का प्रयास किया है। आज देश के 3 करोड़ गरीबों के पास उनके पक्के और नए घर भी, जहां आज वो रहने लगे हैं। आज देश के 50 करोड़ से ज्यादा गरीबों के पास 5 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज की सुविधा है। आज देश के 25 करोड़ से अधिक गरीबों के पास 2-2 लाख रुपए का एक्सीडेंट इंश्योरेंस और टर्म इंश्योरेंस है, बीमा है। आज देश के लगभग 45 करोड़ गरीबों के पास जनधन बैंक खाता है।
मैं आज बहुत गर्व से कह सकता हूं कि देश में शायद ही कोई ऐसा परिवार होगा जो सरकार की किसी न किसी योजना से जुड़ा न हो, योजना उसे लाभ न देती हो। हमने दूर-सुदूर पहुंचकर लोगों को वैक्सीन लगाई है, देश करीब 200 करोड़ वैक्सीन डोज के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच रहा है और मैं जयराम जी को बधाई दूंगा, कोरोना काल में जिस प्रकार से उनकी सरकार ने काम किया है, और उन्होंने ये टूरिस्ट डेस्टिनेशन होने के कारण टूरिज्म के लिए तकलीफ न हो, इसलिए उन्होंने वैक्सीनेशन को इतना तेजी से चलाया, हिंदुस्तान में सबसे पहले वैक्सीनेशन का काम पूरा करने वालों में जयराम जी की सरकार अग्रिम पंक्ति में रही। साथियो, हमने गांव में रहने वाले 6 करोड़ परिवारों को साफ पानी के कनेक्शन से जोड़ा है, नल से जल।
साथियो,
हमने 35 करोड़ मुद्रा लोन देकर गांवों और छोटे शहरों में करोड़ों युवाओं को स्वरोजगार का अवसर दिया है। मुद्रा लोन लेकर कोई टैक्सी चला रहा है, कोई टेलरिंग की दुकान खोल रहा है, कोई बिटिया अपना स्वयं का कारोबार शुरू कर रही है। रेहड़ी-ठेले-पटरी पर काम करने वाले लगभग 35 लाख साथियों को भी पहली बार बैंकों से ऋण मिला है, अपने काम को बढ़ाने का रास्ता मिला है। और जो प्रधानमंत्री मुद्रा योजना है ना, मेरे लिए संतोष की बात है। उसमें 70 प्रतिशत, बैंक से पैसा प्राप्त करने वालों में 70 प्रतिशत हमारी माताएं-बहनें हैं जो entrepreneur बन करके आज लोगों को रोजगार दे रही हैं।
साथियों,
यहां हिमाचल प्रदेश के तो हर घर से, शायद ही कोई परिवार ऐसा होगा जिस परिवार से कोई सैनिक न निकला हो। ये वीरों की भूमि है जी। ये वीर माताओं की भूमि है जो अपनी गोद से वीरों को जन्म देती हैं। जो वीर मातृभूमि की रक्षा के लिए चौबीसों घंटे अपने-आपको खपाते रहते हैं।
साथियो,
ये सैनिकों की भूमि है, ये सैन्य परिवारों की भूमि है। यहां के लोग कभी भूल नहीं सकते कि पहले की सरकारों ने उनके साथ किस तरह का बर्ताव किया, वन-रैंक वन-पेंशन के नाम पर कैसे उन्हें धोखा दिया। अभी हम लद्दाख के एक पूर्व सैनिक से बात कर रहे थे। उनहोंने जीवन सेना में बिताया था, उनको पक्का घर हमारे आने के बाद मिल रहा है साथियो। उनको निवृत्त हुए भी 30-40 साल हो गए।
साथियो,
सैन्य परिवार हमारी संवेदनशीलता को भली प्रकार समझता है। ये हमारी ही सरकार है जिसने चार दशकों के इंतजार के बाद वन-रैंक वन-पेंशन को लागू किया, हमारे पूर्व सैनिकों को एरियर का पैसा दिया। इसका बहुत बड़ा लाभ हिमाचल के हर परिवार को हुआ है।
साथियों,
हमारे देश में दशकों तक वोटबैंक की राजनीति हुई है। अपना-अपना वोटबैंक बनाने की राजनीति ने देश का बहुत नुकसान किया है। हम वोटबैंक बनाने के लिए नहीं, हम नए भारत को बनाने के लिए काम कर रहे हैं। जब ध्येय राष्ट्र के नवनिर्माण का हो, जब लक्ष्य आत्मनिर्भर भारत का हो, जब इरादा 130 करोड़ देशवासियों की सेवा और उनका कल्याण करने का हो तो वोटबैंक नहीं बनाए जाते, सभी देशवासियों का विश्वास जीता जाता है। इसलिए हम सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास की भावना से आगे बढ़ रहे हैं। सरकार की योजनाओं का लाभ सबको मिले, हर गरीब को मिले, कोई गरीब छूटे नहीं, अब यही सरकार की सोच है और इसी अप्रोच से हम काम कर रहे हैं।
हमने शत प्रतिशत लाभ, शत प्रतिशत लाभार्थी तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया है, लाभार्थियों के सैचुरेशन का प्रण लिया है। शत प्रतिशत सशक्तिकरण यानि भेदभाव खत्म, सिफारिशें खत्म, तुष्टिकरण खत्म। शत प्रतिशत सशक्तिकरण यानि हर गरीब को सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ।
मुझे ये जानकर अच्छा लगा कि जयराम जी के नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश इस दिशा में बहुत अच्छा काम कर रहा है। हर घर जल योजना में भी हिमाचल 90 प्रतिशत घरों को कवर कर चुका है। किन्नौर, लाहौल-स्पिति, चंबा, हमीरपुर जैसे जिलों में तो शत प्रतिशत कवरेज हासिल की जा चुकी है।
साथियों,
मुझे याद है, 2014 से पहले जब मैं आपके बीच आता था तो कहता था कि भारत दुनिया से आंख झुकाकर नहीं, आंख मिलाकर बात करेगा। आज भारत, मजबूरी में दोस्ती का हाथ नहीं बढ़ाता है, और जब मजबूरी में दोस्ती का हाथ बढ़ता है ना तो ऐसे बढ़ाता है, बल्कि मदद करने के लिए हाथ बढ़ाता है और हाथ ऐसे करके ले जाता है। कोरोना काल में भी हमने 150 से ज्यादा देशों को दवाइयां भेजी हैं, वैक्सीन भेजी हैं। और इसमें हिमाचल प्रदेश के फार्मा हब- बद्दी की भी बड़ी भूमिका रही है।
भारत ने सिद्ध किया है कि हमारे पास Potential भी है और हम Performer भी हैं। अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं भी मान रही हैं कि भारत में गरीबी कम हो रही है, लोगों के पास सुविधाएं बढ़ रही हैं। इसलिए अब भारत को सिर्फ अपने लोगों की आवश्यकताएं ही पूरी नहीं करनी हैं बल्कि लोगों की जागी हुई आकांक्षाओं को भी हमें पूरा करना है।
हमें 21वीं सदी के बुलंद भारत के लिए, आने वाली पीढ़ियों के उज्ज्वल भविष्य के लिए अपने-आपको खपाना है। एक ऐसा भारत जिसकी पहचान अभाव नहीं बल्कि आधुनिकता हो। एक ऐसा भारत जिसमें लोकल manufacturer, लोकल डिमांड को भी पूरा करे और दुनिया के बाजारों में भी अपना सामान बेचे। एक ऐसा भारत जो आत्मनिर्भर हो, जो अपने लोकल के लिए वोकल हो, जिसे अपने स्थानीय उत्पादों पर गर्व हो।
हमारे हिमाचल का तो हस्तशिल्प, यहां की वास्तुकला, वैसे ही इतनी मशहूर है। चंबा का मेटल वर्क, सोलन की पाइन आर्ट, कांगड़ा की मिनिएचर पेंटिग्स के लोग, और इसे देखने आएं तो टूरिस्ट लोग दीवाने हो जाते हैं। ऐसे उत्पाद, देश के कोने-कोने में पहुंचें, अंतरराष्ट्रीय बाजारों की रौनक बढ़ाएं इसके लिए हम काम कर रहे हैं।
वैसे भाइयों और बहनों, हिमाचल के स्थानीय उत्पादों की चमक तो अब काशी में बाबा विश्वनाथ के मंदिर तक पहुंच गई है। कुल्लू में बनीं, हमारी माताएं-बहने बनाती हैं, कुल्लू में बनी पूहलें सर्दी के मौसम में काशी विश्वनाथ मंदिर के पुजारियों और सुरक्षा कर्मियों की मददगार बन रही हैं। बनारस का सांसद होने के नाते मैं इस उपहार के लिए हिमाचल प्रदेश के लोगों का विशेष आभार व्यक्त करता हूं।
साथियों,
बीते 8 वर्षों के प्रयासों के जो नतीजे मिले हैं, उनसे मैं बहुत विश्वास से भरा हुआ हूं, आत्मविश्वास से भरा हुआ हूं। हम भारतवासियों के सामर्थ्य के आगे कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं। आज भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में एक है। आज भारत में रिकॉर्ड विदेशी निवेश हो रहा है, आज भारत रिकॉर्ड एक्सपोर्ट कर रहा है। 8 साल पहले स्टार्ट अप्स के मामले में हम कहीं नहीं थे, आज हम दुनिया के तीसरे बड़े स्टार्ट अप इकोसिस्टम हैं, तीसरे बड़े। करीब-करीब हर हफ्ते हज़ारों करोड़ रुपए की कंपनी हमारे युवा तैयार कर रहे हैं। आने वाले 25 साल के विराट संकल्पों की सिद्धि के लिए देश नई अर्थव्यवस्था के नए इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण भी तेजी से कर रहा है।
हम एक दूसरे को सपोर्ट करने वाली मल्टीमोडल कनेक्टिविटी पर फोकस कर रहे हैं। इस बजट में हमने जो पर्बतमाला योजना की घोषणा की है, वो हिमाचल जैसे पहाड़ी प्रदेश में कनेक्टिविटी को और मजबूत करेगी। इतना ही नहीं, हमने वाइब्रंट बॉर्डर विलेज, इसकी जो योजना बजट में रखी है, उसके कारण सीमा पर बसे हुए जो गांव हैं, ये गांव वाइब्रंट बने, टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनें, एक्टिविटी के सेंटर बनें। सीमा पर सटे हुए गांव, उनके विकास के लिए भारत सरकार ने एक विशेष योजना बनाई है। ये वाइब्रंट बॉर्डर विलेज की योजना का लाभ मेरे हिमाचल के सीमावर्ती गांवों को स्वाभाविक रूप से मिलने वाला है।
साथियों,
आज जब हम दुनिया का सर्वश्रेष्ठ डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने पर फोकस कर रहे हैं। हम देशभर में स्वास्थ्य सेवाओं के आधुनिकीकरण पर काम कर रहे हैं। आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन के तहत जिला और ब्लॉक स्तर पर क्रिटिकल हेल्थ केयर सुविधाएं हम तैयार कर रहे हैं। हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज हो, इस दिशा में काम चल रहा है। और इतना ही नहीं, गरीब मां का बेटा-बेटी भी अब डॉक्टर बनने का सपना पूरा कर सकता है। पहले तो हाल ये था कि अगर उसको स्कूली शिक्षा अंग्रेजी में नहीं हुई तो डॉक्टर होने के सपने अधूरे रह जाते थे। अब हमने तय किया है मेडिकल और टैक्नीकल एजुकेशन हम मातृभाषा में करने को प्रमोट करेंगे ताकि गरीब से गरीब का बच्चा, गांव का बच्चा भी डॉक्टर बन सके और इसलिए उसे अंग्रेजी का गुलाम होने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
साथियो,
देश में एम्स जैसे बेहतरीन संस्थानों का दायरा देश के दूर-सुदूर के राज्यों तक बढ़ाया जा रहा है। बिलासपुर में बन रहा एम्स इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। अब हिमाचल वासियों को चंडीगढ़ या दिल्ली जाने की मजबूरी नहीं रहेगी।
साथियों,
ये सारे प्रयास हिमाचल प्रदेश के विकास को भी गति देने का काम कर रहे हैं। जब अर्थव्यवस्था मजबूत होती है, रोड कनेक्टिविटी, इंटरनेट कनेक्टिविटी बढ़ती है, स्वास्थ्य सेवाएं सुधरती हैं, तो ये टूरिज्म को भी बढ़ाता है। भारत अपने यहां जिस तरह ड्रोन की मैन्यूफैक्चरिंग बढ़ा रहा है, ड्रोन का इस्तेमाल बढ़ा रहा है, उससे हमारे दूर-दराज के जो क्षेत्र हैं, हिंदुस्तान के दूर-दराज के जो भी इलाके हैं, चाहे पहाड़ी हों, जंगल के इलाके हों, जैसे हिमाचल के भी दूर-दराज के इलाके हैं, वहां पर इन ड्रोन सेवाओं का बहुत बड़ा लाभ मिलने वाला है।
भाइयों और बहनों,
बीते आठ वर्षों में आज़ादी के 100वें वर्ष के लिए यानि 2047 के लिए मज़बूत आधार तैयार हुआ है। इस अमृतकाल में सिद्धियों के लिए एक ही मंत्र है- सबका प्रयास। सब जुड़ें, सब जुटें और सब बढ़ें- इसी भाव के साथ हमें काम करना है। कितनी सदियों के बाद, और कितनी पीढ़ियों के बाद ये सौभाग्य हमें मिला है, हमारी आपकी पीढ़ी को मिला है। इसलिए आइये, हम संकल्प लें, हम सब ‘हम सबका प्रयास’ के इस आह्वान में अपनी सक्रिय भागीदारी निभाएंगे, अपना हर कर्तव्य निभाएंगे।
इसी विश्वास के साथ, आज जो हिमाचल ने आशीर्वाद दिए हैं और देश के हर ब्लॉक में आज इस कार्यक्रम से लोग जुड़े हुए हैं। आज पूरा हिंदुस्तान शिमला से जुड़ा हुआ है। करोड़ों-करोड़ों लोग आज जुड़े हुए हैं। और आज मैं आज शिमला की धरती से उन करोड़ों देशवासियों से बात कर रहा हूं। मैं उन करोड़ों-करोड़ों देशवासियों को अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं और आपके आशीर्वाद बने रहें, हम और ज्यादा काम करते रहें, दिन-रात काम करते रहें, जी-जान से जुटे रहें। इसी एक भावना को आगे लेते हुए आप सबके आशीर्वाद के साथ मैं फिर एक बार आप सबका हृदय से धन्यवाद करता हूं। मेरे साथ बोलिए-
भारत माता की – जय
भारत माता की – जय !
भारत माता की – जय !
बहुत बहुत धन्यवाद !