जनजाति क्षेत्र के कृषि विकास के लिए जागरूकता एवं शिक्षा की जरूरत- डॉ कर्नाटक

मदार के घोडान कला मे एमपीयुएटी ने  वितरित किये कृषि आदान

Nov 10, 2022 - 21:11
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जनजाति क्षेत्र के कृषि विकास के लिए जागरूकता एवं शिक्षा की जरूरत- डॉ कर्नाटक
जनजाति क्षेत्र के कृषि विकास के लिए जागरूकता एवं शिक्षा की जरूरत- डॉ कर्नाटक
उदयपुर: महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के अनुसंधान निदेशालय के अंतर्गत भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (नई दिल्ली ) द्वारा प्रायोजित जनजाति उपयोजना में गुरुवार को विश्वविद्यालय के गोद लिए गए गांव मदार के घोड़ान कला ग्राम में किसान संगोष्ठी एवं आदान वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एमपी यूआईटी के माननीय कुलपति डॉ अजीत कुमार कर्नाटक एवं विशिष्ट अतिथि एम पी यू ए टी प्रबंध मंडल के माननीय सदस्य डॉ एस आर मालू थे।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभी वरिष्ठ अधिकारी, निदेशक, कुलपति सचिवालय के अधिकारी डॉ वीरेंद्र नेपालिया, निदेशक अनुसंधान डॉ एस के शर्मा, निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ आर ए कौशिक, निदेशक आयोजना एवं मॉनिटरिंग डॉ महेश कोठारी, निदेशक आवासीय निर्देशन डॉ. बी एल बाहेती, छात्र कल्याण अधिकारी डॉ. एम ए सालोदा, अधिष्ठाता राजस्थान महाविद्यालय डॉ. एस एस शर्मा, अधिष्ठाता मत्स्यकी महाविद्यालय डॉ बी के शर्मा, क्षेत्रीय अनुसंधान निदेशक डॉ अरविंद वर्मा, सहनिदेशक डॉ अमित त्रिवेदी, जनसंपर्क अधिकारी डॉ. सुबोध शर्मा तथा अधिष्ठाता डेरी टेक्नोलॉजी महाविद्यालय एवं जनजाति उपयोजना के समन्वयक डॉ लोकेश गुप्ता एवं परियोजना से जुड़े पशुपालन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ मिश्रा एवं रिसर्च फेलो इत्यादि उपस्थित थे।
इस अवसर पर अभियांत्रिकी महाविद्यालय की अखिल भारतीय समन्वित परियोजना के डॉ एस एम माथुर एवं डॉ एन एल पंवार, अनुसंधान निदेशालय में जारी जैविक खेती पर आयोजित 21 दिवसीय एडवांस फैकल्टी ट्रेनिंग के, देश के 10 राज्यों से आये प्रतिभागी  एवं उनके समन्वयक डॉ. गजानंद, डॉ रोशन चौधरी एवं डॉ बी जी छिपा भी उपस्थित थे।  
इस अवसर पर अपने उद्बोधन में माननीय कुलपति डॉ अजीत कुमार कर्नाटक ने कहा कि कृषक महिलाओं को समाज में आगे बढ़ाना हम सब कृषि वैज्ञानिकों एवं कृषि विश्वविद्यालय की सामूहिक जिम्मेदारी है उन्होंने कहा कि क्षेत्र के कृषि विकास के लिए किसानों ने जागरूकता एवं कृषक महिलाओं एवं बालिकाओं में शिक्षा बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि परंपरागत खेती में उतना लाभ नहीं है अतः किसानों की आय बढ़ाने के लिए पारंपरिक खेती के साथ-साथ सब्जियों एवं फलों का उत्पादन सब्जियों में भी अधिक मांग वाली तथा महंगी बिकने वाली सब्जियों जैसे ब्रोकली, स्विस चर्ड, जकुनी, लेट्यूस, खीरा, शिमला मिर्च इत्यादि के उत्पादन की ओर ध्यान देना होगा।
उन्होंने बताया कि पशुपालन का क्षेत्र के किसानों की आय में 40% से भी अधिक योगदान है अतः उचित नस्लों के पशु पालन द्वारा यहां के किसानों की आय को बढ़ाया जा सकता है इसे देखते हुए एमपीयुएटी द्वारा इस अवसर पर जनजाति परियोजना के अंतर्गत घोडान कला के 10-10 किसानों को सिरोही नस्ल की बकरियाँ, 2 बीजू बकरे, 5 किसानों को  कड़कनाथ नस्ल की मुर्गियों के चूजे, एवं चार किसनों को बैलों को जोतने के जुड़े भी दिये गये। साथ ही 150 किसानों को पशुओं के आहार मे मिलाने के लिये 5-5 किलो के मिनरल मिक्स्चर भी दिये गये। उन्होंने बताया की क्षेत्र के किसानों के लिए विश्वविद्यालय द्वारा सीताफल उत्पादन एवं प्रसंस्करण तकनीक प्रदान की गई है जिसके व्यवसायीकरण से क्षेत्र के किसानों एवं स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को अच्छी आए हो रही है तथा सीताफल पल्प पर आधारित दो आइसक्रीम फैक्ट्रियां भी इसका लाभ उठा रही है। 
विशिष्ठ अतिथि डॉ इस आर मालू ने जनजाति उपयोजन क्षेत्र के किसानों की आय बढ़ाने के लिये समन्वित कृषि प्रणाली को बढ़ावा देने, खाद्य प्रसंस्करण एवं पशुपालन को बढ़ावा देने की बात कहीं।
संगोष्ठी मे किसानों को संबोधित करते हुए कृषि वैज्ञानिकों ने फल एवं सब्जी उत्पादन, खेती में उचित खाद एवं उर्वरकों के प्रयोग, जैविक खेती अपनाने, खरपतवार नियंत्रण, पशुपालन, बकरी एवं मुर्गी पालन, मशरूम उत्पादन, मछली मछली बीज उत्पादन व रंगीन मछली पालन की गहन जानकारी दी एवं उनकी समस्याओं का समाधान भी किया। 
परियोजना समन्वयक डॉ लोकेश गुप्ता ने बताया कि जनजाति उपयोजना के अंतर्गत विश्वविद्यालय द्वारा 3928 किसको को दक्षता प्रशिक्षण दिया गया है 485 हेक्टेयर क्षेत्र के किसानों को इसका लाभ मिला है, 81 से अधिक कार्यक्रमों का आयोजन यहां पर किया गया है 320 किसानों को वर्मी कंपोस्ट का प्रशिक्षण, 440 किसानों को अजोला उत्पादन एवं 3000 किसानों को मिनरल मिक्सर उत्पादन का प्रशिक्षण दिया गया है तथा 15 क्विंटल मिनरल मिक्सर वितरित भी किया गया है। किसानों को प्रताप धन कड़कनाथ के 23000 चूजे इस परियोजना के दौरान प्रदान किए गए हैं जिसका 12 सौ से अधिक किसानों ने लाभ उठाया है। 53 किसानों को बटेर पालन का प्रशिक्षण देकर बटेर पक्षी भी दिए गए हैं जिसका वे सकुशल पालन कर रहे हैं।
यहां की महिलाओं को 120 से अधिक अनाज संग्रहण कोठियां दी गई हैं जिसमे वे सुरक्षित तरीके से अनाज संचित कर पाती हैं। 30 से अधिक कृषकों  को बकरियां एवं 1300 किसानों को बैटरी चालित स्प्रेयर भी वितरित किए गए हैं। इस अवसर पर किसान महिला दीपिका एवं प्रगतिशील कृषक बग्गा जी गमेती ने भी सभा को संबोधित किया एवं बताया कि किस प्रकार विश्वविद्यालय ने इस परियोजना के तहत क्षेत्र के कृषि विकास में उन्हें सहयोग एवं संबल प्रदान किया है जिसके लिए वे कुलपति एवं विश्वविद्यालय के आभारी हैं, इससे उनकी आमदनी ने बढ़ोतरी हुई है एवं जीवन स्तर में भी सुधार हुआ है। 
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