कैंसर से लड़ते हुए मधुरिमा बनी मिसाल, नीट क्रेक कर डॉक्टर बनने का सपना किया साकार

यदि संकल्प मजबूत हो तो सपनों को साकार होने से कोई नहीं रोक सकता। त्रिपुरा की छात्रा मधुरिमा इसका उदाहरण बन लाखों विद्यार्थियों के लिए मिसाल बनी है। कैसर जैसी जानलेवा बीमारी से लड़ते हुए मधुरिमा ने खुद को साबित किया

Sat, 21 Dec 2024 04:15 PM (IST)
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कैंसर से लड़ते हुए मधुरिमा बनी मिसाल, नीट क्रेक कर डॉक्टर बनने का सपना किया साकार
कैंसर से लड़ते हुए मधुरिमा बनी मिसाल, नीट क्रेक कर डॉक्टर बनने का सपना किया साकार



राष्ट्रीय 21 दिसंबर 2024 :  यदि संकल्प मजबूत हो तो सपनों को साकार होने से कोई नहीं रोक सकता। त्रिपुरा की छात्रा मधुरिमा इसका उदाहरण बन लाखों विद्यार्थियों के लिए मिसाल बनी है। कैसर जैसी जानलेवा बीमारी से लड़ते हुए मधुरिमा ने खुद को साबित किया और पहले ही प्रयास में मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट 2024 को क्रेक कर डॉक्टर बनने का सपना साकार कर दिखाया।

त्रिपुरा के एक छोटे से गांव में वर्ष 2004 में मधुरिमा का जन्म हुआ। सब कुछ सही चल रहा था लेकिन, वर्ष 2016 में मधुरिमा के जीवन में उथल-पुथल मच गई, जब उसे पता चला कि वो नॉन हॉजकिन लिंफोमा यानी एक प्रकार के दुर्लभ कैंसर से ग्रसित हो चुकी है। इसके बाद मुंबई के टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल में उसका उपचार शुरू हुआ। इलाज के दौरान भी मधुरिमा अपने लक्ष्य से नहीं भटकी और पढ़ाई करना बंद नहीं किया। दृढ़ इच्छाशक्ति की बदौलत मधुरिमा ने 10वीं कक्षा 96 प्रतिशत एवं 12वीं कक्षा 91 प्रतिशत अंकों से उत्तीर्ण की है।

मधुरिमा एलन ऑनलाइन की छात्रा रही है और वह कक्षा 11 से ही एलन ऑनलाइन से जुड़ी हुई है। अपनी फैकल्टीज, डॉक्टरों एवं परिवार से मिल रहे मार्गदर्शन एवं हौंसले से उसने केवल कैंसर को हराया बल्कि पहले ही प्रयास में मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट 2024 को क्रेक कर दिखाया। मधुरिमा ने एमबीबीएस के लिए शांति निकेतन मेडिकल कॉलेज त्रिपुरा में एडमिशन प्राप्त किया है।
उनकी बहन, ऋतुरिमा भी प्रेरणा का स्रोत है जो कि वर्तमान में दिल्ली के बाबा साहेब अंबेडकर मेडिकल कॉलेज से इंटर्नशिप कर रही हैं। दोनों बहनों की कहानियाँ संघर्ष और मेहनत की शक्ति को दर्शाती हैं।
ये मधुरिमा के दृढ़ संकल्प का प्रमाण है कि उसने 12वीं कक्षा में पढ़ते हुए नीट 2024 की तैयारी की और सफलता प्राप्त की। उनकी सफलता दुनियाभर के छात्रों और व्यक्तियों के लिए प्रेरणा है। उसकी कहानी यह साबित करती है कि आत्मविश्वास और प्रयास से कोई भी बाधा पार की जा सकती है।

मधुरिमा ने कहा, ‘मेरी यात्रा संघर्षों से भरी रही है, लेकिन मैंने सीखा है कि कड़ी मेहनत और खुद पर विश्वास से किसी भी चुनौती से पार पाया जा सकता है। मुझे आशा है कि मेरी कहानी दूसरों को प्रेरित करेगी कि वे कभी हार मानें, चाहे जीवन कितना भी कठिन क्यों हो।’ 

Mamta Choudhary Admin - News Desk