मुंबई : मुंबई में आयोजित कार्यक्रम में गीतकार राजिंदर क्रिशन के गीतों को गाकर उन्हें याद किया गया। राजिंदर क्रिशन के बेटे- राजीव दुग्गल, राजेश दुग्गल और करीबी लोगों ने उनके गीतों को गा कर, उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। राजिंदर क्रिशन की पोतियां- सिमरन और रिया, राजीव और मेलिनी दुग्गल की बेटियों की म्यूजिकल बैंड का नाम है "सिमेट्री"(जो उनके नाम- सिमरन और रिया को जोड़ के बना) वह अपने दादा जी के भी गीतों को दर्शकों के सामने गाती हैं। शाल्मली खोलगडे, अनन्य बिरला, हर्षदीप कौर के लाइव शोज़ के माध्यम से, रिया और सिमरन, दुनिया भर में शोज़ पे परफॉर्म करती रही हैं!
राजिंदर क्रिशन जी के तीसरे बेटे राजेश दुग्गल ने बताया कि पिता जी और सुनील दत्त जी काफी गहरे दोस्त थे। कई बार, हम लोग बर्थडे अपने घर पर न मनाकर, सुनील दत्त साहेब के यहां जाकर मनाते थे। उनके यहां बड़ी महफ़िल जमती थी। साधना जी की प्रोडक्शन की सभी फिल्मों के गीत पिताजी ने लिखे थे। साधना जी की पहली फ़िल्म "लव इन शिमला" और अंतिम फ़िल्म "गीता मेरा नाम* में, पिताजी ने ही गाने लिखे थे।
लता मंगेशकर जी के गाये हुए, पिताजी ने लगभग 525 गाने लिखे। पिताजी के लिखे 340 से ज़्यादा गाने, मोहम्मद रफी साहब ने गाए थे। उन्होंने अपने चार दशक के लंबे करियर में, 1600 से ज़्यादा गाने लिखे हैं। उनके द्वारा रचित गीतों में मेरे पसंदीदा गानों की बात करूं तो "यूं हसरतों के दाग", "ये ज़िन्दगी उसी की है", "पल पल दिल के पास", "हम प्यार में जलने वालों को"... उल्लेखनीय हैं। पिताजी का फेवरेट सॉन्ग अदालत में था "जाना था उनसे दूर"। ये बात उन्होंने खुद कही थी।"
एक रोचक तथ्य यह है कि 70 के दशक में, राजिंदर क्रिशन को घोड़ो की रेस में 48 लाख रुपए का जैकपॉट लगा था। वह बहुत बड़ी रकम थी और उनके पुत्र ने बताया कि उस समय फिल्म वालों को लगा, कि अब उनकी दिलचस्पी लेखनी में नहीं रहेगी; मगर वह लिखते रहे।"
राजिंदर क्रिशन की ग्रैंड डॉटर्स- रिया और सिमरन दुग्गल ने अपने दादा को जन्मदिन की बधाई दी और कहा कि काश कभी हम उनसे मिल पाते लेकिन (हम बाद में पैदा हुए) कभी उनसे मुलाकात नहीं हो सकी। मगर उनकी लेखनी, उनके गीतों में, उनकी याद हमेशा रहेगी। 'इना मीना डीका', 'गोरे गोरे' सहित उनके कई गीतों को हम शोज़ में गाते रहते हैं। हर साल उनके जन्मदिन पर हम उन्हें सेलिब्रेट करते हैं।"
राजेश दुग्गल ने कहा कि पिताजी मस्ती वाला मिज़ाज रखते थे, हालांकि घर पर वह मस्ती नहीं नज़र आती थी, बल्कि बहुत शांत स्वभाव के थे अपनी लेखनी में ही खोए रहते। काम के प्रति बड़ी ईमानदारी और संजीदगी रखते थे।
1965 में फ़िल्म खानदान के गीत ' तुम्ही मेरे मंदिर, तुम्ही मेरी पूजा' के लिए, राजिंदर क्रिशन जी को सर्वश्रेष्ठ गीतकार का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला था।
लगभग 40 वर्षों में, राजिंदर क्रिशन बेशुमार गीतों की रचनाऐं लिख गए जो सदाबहार माने जाते हैं। संगीतकार मदन मोहन के लिए उनके द्वारा लिखित गीत, बिल्कुल अलग अंदाज़ रखते हैं। उन्होंने मदन मोहन जी के साथ ४१ फिल्मों के गीत लिखे थे जिसमे से ३६ फ़िल्म रिलीज़ हुई थी। फ़िल्म ‘अदालत’ के लिए उनकी लिखी ग़ज़लें_ 'जाना था हमसे दूर, बहाने बना लिये', ' उनको ये शिकायत है कि हम, कुछ नहीं कहते' और ' यूं हसरतों के दाग़, मोहब्बत में धो लिये' कालजयी मानी जाती हैं।
राजिंदर क्रिशन की खूबी यह थी कि उन्होंने जीवन के विभिन्न रंग और अलग अलग भावनाओं पर गाने लिखे। उनके सुपर हिट गीतों में ' जहां डाल डाल पर सोने की चिड़िया', 'कौन आया मेरे मन के द्वारे', 'चल उड़ जा रे पंछी', 'तुम्हीं हो माता, पिता तुम्हीं हो' सहित, हजारों गाने शामिल हैं।
260 से ज्यादा फ़िल्मों के लिए, 1600 से अधिक गाने लिखने वाले राजिंदर क्रिशान ने ढेरों फ़िल्मों की डायलॉग और स्क्रीनप्ले लिखे। उनके कलम द्वारा रचित प्रमुख फिल्मों में "पड़ोसन", "मनमौजी", "साधु और शैतान", "बॉम्बे टू गोवा" के नाम उल्लेखनीय है। ऐसे महान गीतकार, लेखक की रचनाएं हिंदी सिनेमा के लिए मील का पत्थर सिद्ध हुई हैं।