विधि समाज और लोक विमर्श विषय पर राज्यपाल मिश्र ने किया सम्बोधित

Sun, 22 May 2022 05:58 PM (IST)
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विधि समाज और लोक विमर्श विषय पर राज्यपाल मिश्र ने किया सम्बोधित

‘विधि, समाज और लोक विमर्श’ विषय पर राज्यपाल मिश्र ने किया सम्बोधित

न्यायालय संविधान द्वारा प्रदत्त मानवीय अधिकारों के प्रहरी - राज्यपाल

राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि देश के न्यायालय संविधान द्वारा प्रदान किए गए मानवीय अधिकारों के प्रहरी हैं। न्यायपालिका सभी पक्षों पर गहराई से विमर्श कर, न्याय के सभी सिद्धान्तों को लागू करते हुए अपना कार्य करती है। इसीलिए न्यायपालिका में आज भी आम जन का विश्वास कायम है।

राज्यपाल मिश्र शनिवार को यहां होटल आईटीसी राजपूताना में ग्रासरूट मीडिया फाउण्डेशन द्वारा आयोजित ‘विधि, समाज और लोक विमर्श’ विषयक कार्यक्रम में सम्बोधित रहे थे। उन्होंने कहा कि देश में न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका ने लोकतंत्र से जुड़े मुद्दों पर संकट पर सदा ही आगे बढ़कर अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 

राज्यपाल ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना ‘हम भारत के लोग’ शब्द स्वयमेव भारतीय लोकतंत्र की जीवंतता की अनुभूति कराने वाले हैं। संविधान में लोगों को मूलभूत अधिकार प्रदान किए गए हैं, तो उनके कर्तव्य भी निर्धारित किए गए हैं। अधिकारों के साथ कर्तव्यों का संतुलन जब होता है तभी मानवीय गरिमा सभी स्तरों पर स्थापित होती है।  

उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताओं के बारे में लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से राजभवन में बन रहा संविधान पार्क देश का अपनी तरह का पहला उद्यान होगा।

राज्यपाल मिश्र ने कहा कि सामाजिक न्याय से संबंधित कानून बनाने में हमारा देश विश्वभर में सबसे आगे है पर कानून बनाने के साथ समाज में ऐसा वातावरण बनाया जाना भी जरूरी है, जिससे भेद-भाव, छुआछूत, कुरीतियों, आर्थिक असमानता को पूरी तरह मिटाया जा सके। उन्होंने अपने सम्बोधन में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद दर्शन का उल्लेख करते हुए कहा कि व्यक्ति राष्ट्र, समाज, परिवार और स्वयं से एकात्म स्थापित कर लेता है, तो स्वतः ही लोक कल्याण के लिए अग्रसर हो जाता है।

राज्यपाल ने संसदीय व्यवस्था, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका के नेतृत्व में परस्पर विचार-विमर्श हेतु संस्थागत प्रावधान की पहल किए जाने का सुझाव दिया। उन्होंने अप्रासंगिक हो गए कानूनों की समीक्षा की प्रणाली विकसित किए जाने का सुझाव भी दिया। 

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और सांसद रंजन गोगोई ने कहा कि समाज में नैतिक आचरण में कमी आने पर नियम-कानूनों की आवश्यकता पड़ती है। उन्होंने कहा कि वर्तमान दौर में पारिवारिक मूल्यों के खत्म होने और समाज के व्यक्ति केंद्रित होते जाने के कारण आधिकाधिक कानूनों की आवश्यकता महसूस की जा रही है।   

राज्यपाल मिश्र को गोगोई ने अपनी पुस्तक ‘जस्टिस फॉर द जज’ की प्रति भी भेंट की।

कार्यक्रम के आरम्भ में राज्यपाल ने उपस्थितजनों को संविधान की उद्देश्यिका और मूल कर्तव्यों का वाचन करवाया।

इस अवसर पर अधिवक्ता रमन नंदा, ग्रासरूट मीडिया फाउण्डेशन के प्रभारी प्रमोद शर्मा, प्रभा खेतान फाउण्डेशन की प्रतिनिधि अपरा कुच्छल सहित संस्था के पदाधिकारी और प्रबुद्धजन उपस्थित रहे।