वनाधिकार अधिनियम के तहत प्राप्त सभी दावों का निस्तारण करें -मुख्य सचिव
मुख्य सचिव ने वन धन विकास योजना की समीक्षा करते हुए वन धन विकास केन्द्रों के लिए अनुभवी और प्रोफेशनल लोगों से अच्छे बिजनेस मॉडल बनवाने के निर्देश दिए।
मुख्य सचिव उषा शर्मा ने जिला कलक्टर्स को वनाधिकार अधिनियम के तहत प्राप्त सभी दावों का निस्तारण करने के निर्देश दिए। शर्मा बुधवार को यहां शासन सचिवालय में राज्य स्तरीय निगरानी समिति की बैठक की अध्यक्षता कर रही थीं।
मुख्य सचिव ने कहा कि वनाधिकार के अधिकतर दावों का निस्तारण कर अच्छा कार्य किया है। शेष रहे सभी दावों का भी उचित परीक्षण करवाकर 15 मई से पहले निस्तारण सुनिश्चित करवाएं। उन्होंने निस्तारित दावों का राजस्व रिकॉर्ड में अंकन करवाने के भी निर्देश दिए।
मुख्य सचिव ने वन धन विकास योजना की समीक्षा करते हुए वन धन विकास केन्द्रों के लिए अनुभवी और प्रोफेशनल लोगों से अच्छे बिजनेस मॉडल बनवाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि यह तकनीकी कार्य है जो कुशल लोग ही बेहतर ढंग से संपादित कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि इन केन्द्रों की सफलता इनके बिजनेस मॉडल और उत्पादों की मार्केटिंग पर ही निर्भर करती है। उन्होंने व्यापक मार्केट उपलब्ध कराने के लिए इन केन्द्रों को प्राइवेट वेंडर्स से जोड़ने के निर्देश दिए।
बैठक में मुख्य सचिव उषा शर्मा ने जनजाति उपयोजना वर्ष 2021-22 की प्रगति की समीक्षा के साथ जनजाति उपयोजना वर्ष 2022-23 में बजट आवंटन पर भी चर्चा की। उन्होंने अनुसूचित जनजाति उपयोजना के अन्तर्गत इस वर्ग में आने वाले व्यक्तियों के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक विकास के लिए संबंधित विभागों को अपने बजट मद का जल्द से जल्द उपयोग करने के निर्देश दिये।
जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग के शासन सचिव डॉ. समित शर्मा ने बताया कि वनों से अपनी आजीविका चलाने वाले वन्य क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासियों और परम्परागत अन्य वन्य निवासियों को वनाधिकार दिए जा रहे हैं। गत वर्ष 9 अगस्त से वन अधिकार अभियान चलाकर और प्रशासन गांवों के संग शिविरों के माध्यम से वंचित लोगों को दावे प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान किया गया। इस दौरान 27 हजार दावे प्राप्त हुए, जिनमें से 20 हजार से अधिक दावों का निस्तारण किया जा चुका है। शेष रहे करीब 7 हजार दावों का निस्तारण प्रक्रियाधीन है। उन्होंने बताया कि इससे पहले प्राप्त सभी 84 हजारों पुराने दावों का निस्तारण किया जा चुका है।
जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग के आयुक्त राजेन्द्र भट्ट ने बताया कि वर्ष 2018-19 में शुरू वन धन विकास योजना के तहत जनजाति समुदाय द्वारा वन क्षेत्र में पैदा होने वाली लघु वन, कृषि, औषधीय तथा उद्यानिकी उपजों का संग्रहण कर उनका मूल्य संवर्धन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस योजना में राज्य के 8 जिलों में 479 केन्द्रों का गठन किया गया है, जिनसे करीब 1 लाख 45 हजार सदस्य लाभान्वित होंगे।
बैठक में विभिन्न विभागों के शासन सचिव, संबंधित जिलों के कलक्टर और ट्राइफेड के प्रतिनिधि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित थे।