32 वर्ष से निराहार रहने वाले गृहस्थ जीवन के तपस्वी संत त्रिवेदी ब्राह्मण नंदू महाराज रामनवमी के दिन देवलोक हुए

रामनवमी के दिन बासड़ा धनजी के प्रकांड विद्वान ज्योतिषी एवं ग्रहस्थ संत ब्राह्मण त्रिवेदी नंदकिशोर (नंदू महाराज) ने मोबाइल से विष्णु सहस्रनाम सुनते हुए अपने प्राणों का त्याग किया।

Apr 18, 2024 - 12:54
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32 वर्ष से निराहार रहने वाले गृहस्थ जीवन के तपस्वी संत त्रिवेदी ब्राह्मण  नंदू महाराज  रामनवमी के दिन देवलोक हुए
32 वर्ष से निराहार रहने वाले गृहस्थ जीवन के तपस्वी संत त्रिवेदी ब्राह्मण नंदू महाराज रामनवमी के दिन देवलोक हुए
नंदू महाराज पिछले 32 साल से भोजन नहीं कर रहे थे। वो ब्राह्मण कर्म के साथ-साथ  वो संत जीवन जिते थे। 32 साल से भोजन न करने के बाद भी वो कभी बीमार नहीं पड़े।
 
नंदू महाराज हमेशा विष्णु भक्ति में लीन रहते थे, उनकी सादगी और शालीनता से पूरा गांव वाकिफ है। उनके पास आने वाले हर युवा को  वो हमेशा कुछ न कुछ प्रेरणा देते रहते थे। एक बात वो हमेशा और सबको कहा करते थे कि किसी भी परिस्थति में अपने भाई से कभी वैर मत करना। भाई का कभी साथ मत छोड़ना, राम ने युद्ध इसलिए जीता क्योंकि उनके साथ उनका भाई लक्ष्मण खड़ा था और  रावण इसलिए हारा क्योंकि उसके साथ उसका भाई विभीषण नहीं था। वो युवाओ से हमेशा कहते थे कि जीवन में कर्म करते हुए पूजा पाठ और जप तप भी करते रहना चाहिए। अगर मंजिल पाना है तो मेहनत के साथ साथ भगवन की पूजा पाठ भी की तो आपको  आपकी मंजिल पाने से कोई रोक नहीं सकता.

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