ऑक्सफ़ोर्ड से वर्ल्ड बैंक तक: निमिषा कर्नाटक का विज़न, जो AI की दुनिया को नए सिरे से गढ़ रहा है
ऑक्सफोर्ड की भारतीय शोधकर्ता निमिषा कर्नाटक का मानना है कि AI की ताकत विशाल मॉडलों में नहीं, बल्कि स्थानीय भाषा-संस्कृति पर आधारित समाधानों में है। वर्ल्ड बैंक के AVA सिस्टम से लेकर ASHA कार्यकर्ताओं के लिए AI सहायक तक, वे वैश्विक असमानताओं को दूर कर रही हैं।

नई दिल्ली: कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) की दुनिया में जब हर कोई विशालकाय मॉडलों की दौड़ में लगा है, तब यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड की एक युवा भारतीय शोधकर्ता निमिषा कर्नाटक एक अलग राह दिखा रही हैं। वर्ल्ड बैंक की वाशिंगटन डी.सी. स्थित अंतरराष्ट्रीय सलाहकार के रूप में काम करते हुए, निमिषा का कहना है कि AI का सच्चा भविष्य 'ग्लोबल' नहीं, बल्कि 'हाइपर-लोकल' इंटेलिजेंस में छिपा है। यानी, हर क्षेत्र की स्थानीय भाषा, संस्कृति और चुनौतियों के अनुरूप बने विशेषज्ञ AI समाधान ही असली बदलाव ला सकते हैं। यह सोच न केवल तकनीक को अधिक भरोसेमंद बनाती है, बल्कि वैश्विक दक्षिण के हाशिए पर रहने वाले लोगों तक इसे पहुंचाने का वादा भी करती है।
निमिषा का यह दृष्टिकोण उनके शोध और व्यावहारिक कार्यों से स्पष्ट झलकता है। सफल AI का मूल मंत्र, उनके अनुसार, विश्वसनीयता, डेटा-आधारित जवाब और अपनी सीमाओं को मानना है। वर्ल्ड बैंक में उनके योगदान का एक प्रमुख उदाहरण है AVA AI सिस्टम। बड़े संस्थानों के लिए AI का सबसे बड़ा जोखिम 'हैलुसिनेशन'—यानी मनगढ़ंत जानकारी देना—रहता है। AVA इस समस्या पर काबू पाने के लिए डिजाइन किया गया है। यह सिस्टम वर्ल्ड बैंक की अपनी रिपोर्टों और आधिकारिक डेटा पर प्रशिक्षित है, और हर उत्तर के साथ स्रोत का लिंक प्रदान करता है। इससे नीति-निर्माताओं और विश्लेषकों का काम सुरक्षित हो जाता है, क्योंकि यह अनुमान या गलत सूचना से बचाता है। निमिषा ने इस प्रोजेक्ट पर काम करते हुए AI को वैश्विक विकास कार्यक्रमों में एक जिम्मेदार उपकरण के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
अब उनकी नजरें भारत की जड़ों पर हैं। ऑक्सफोर्ड में पीएचडी के दौरान, निमिषा भारत की कम्युनिटी हेल्थ वर्कर्स—जैसे आशा कार्यकर्ताओं—के लिए एक मल्टी-एजेंट AI सिस्टम विकसित कर रही हैं। यह AI एक टीम की तरह काम करेगा, जो स्वास्थ्य सेविकाओं को मरीजों के रिकॉर्ड को व्यवस्थित रखने और सटीक सलाह देने में सहायता देगा। "गांव में काम कर रही एक आशा कार्यकर्ता की जरूरतें न्यूयॉर्क के डॉक्टर से बहुत अलग होती हैं। हमारा लक्ष्य है कि वर्ल्ड-क्लास AI तकनीक को भारत के गांवों तक पहुंचाएं, ताकि यह उनकी भाषा और उनकी समस्याओं को समझकर उनकी सच्ची साथी बन सके," निमिषा कहती हैं। यह परियोजना हाशिए पर रहने वाली महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक कदम है, जहां तकनीक न केवल समस्या सुलझाए, बल्कि स्थानीय संदर्भों को सम्मान दे।
निमिषा का सफर वैश्विक नवाचारों से भरा है। गूगल डीपमाइंड, लंदन में उन्होंने छोटे व्यापारियों के लिए एक AI प्रोटोटाइप बनाया, जो ब्रांड-विशिष्ट विज्ञापन तैयार करने में मदद करता है। इसकी यूएस पेटेंट आवेदन दाखिल हो चुका है, और शोध अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में प्रकाशित हो चुका है। इसी तरह, वर्ल्ड बैंक के तहत मोरक्को के उच्च शिक्षा, वैज्ञानिक अनुसंधान और नवाचार मंत्रालय के साथ उन्होंने महिला स्नातकों के लिए एक जेंडर-सेंसिटिव चैटबॉट का नेतृत्व किया। स्थानीय सलाहकारों के सहयोग से विकसित यह चैटबॉट मोरक्को की सामाजिक-सांस्कृतिक वास्तविकताओं का ख्याल रखते हुए करियर मार्गदर्शन देता है।
उत्तराखंड के पंतनगर में जन्मी और पली-बढ़ी निमिषा ने 2018 में गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से बी.टेक पूरा किया, जहां उन्हें अकादमिक उत्कृष्टता के लिए वाइस-चांसलर रजत पदक मिला। माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च इंडिया में दो साल रिसर्च फेलो के रूप में काम करने के बाद, वे ऑक्सफोर्ड पहुंचीं। उनका यह सफर साबित करता है कि तकनीक इंसानों पर हावी न होकर उनकी सहयोगी बने। निमिषा की 'हाइपर-लोकल' सोच AI को 'सबका' बनाने की दिशा में एक आशाजनक कदम है—एक ऐसा भविष्य जहां तकनीक सीमाओं को तोड़े, न कि बढ़ाए।