देश के कृषि विकास की कॅुजी नवाचार आधारित कौशल विकास में - डॉं. व्यास

आरसीए एलुमनाई का 21वां राष्ट्रीय सम्मेलन 13.11.2022 (रविवार) को सम्पन्न

Nov 13, 2022 - 21:06
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देश के कृषि विकास की कॅुजी नवाचार आधारित कौशल विकास में - डॉं. व्यास
देश के कृषि विकास की कॅुजी नवाचार आधारित कौशल विकास में - डॉं. व्यास
उदयपुर: महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के संघटक राजस्थान कृषि महाविद्यालय की पूर्व छात्र परिषद के 21वें राष्ट्रीय सम्मेलन एवं डॉ. ए. राठौड़ स्मृति व्याख्यान-2022 का आयोजन रविवार को राजस्थान कृषि महाविद्यालय के सभागार में प्रातः 11.00 बजे आयोजित किया गया । परिषद के अध्यक्ष डॉ विश्वनाथ जोशी, पूर्व निदेशक एवं अधिष्ठाता, आर.सी.ए. ने बताया कि कार्यक्रम का आयोजन राजस्थान कृषि महाविद्यालय की पूर्व छात्र परिषद एवं श्रीमती कुसुम राठौड़ मेमोरियल ट्रस्ट, उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कोटा कृषि विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति डॉ अभय कुमार व्यास रहे एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता एमपीयूएटी  के माननीय कुलपति डॉ अजीत कुमार कर्नाटक ने की  ।
 
समारोह में डॉं0 व्यास ने भारतीय कृषि रूपान्तरण एवं परिदृश्य पर अपना भाषण दिया । उन्होने भारतीय कृषि के परिदृश्य पर प्रकाश डालते हुऐ उपलब्ध भूमि एवं जलीय संसाधनों तथा जैवविविधता को परिभाषित किया । उन्हांेने बताया कि विगत कोविड के दौरान कृषि का भारतीय सकल घरेलु उत्पाद में योगदान 14 प्रतिशत से बढ़कर 20.2 प्रतिशत रहा तथा कृषि में वृद्धिदर 3 से 4 प्रतिशत रही जिसेकि बढ़ती आबादी के मध्यनजर 4 प्रतिशत से उपर बनाये रखना जरूरी है । उन्होंने बताया कि हमारे देश में विगत 75 वर्षो में खा़द्यान् उत्पादन में 6.3 गुना, उद्यानीकी फसलों में 10 गुना, मत्स्यकी उत्पादन में 12.6 गुना, दुग्ध उत्पादन में 10.5 गुना तथा अण्डे के उत्पादन में 64 गुना वृद्धि हुई है । उन्होंने देश की कृषि के समक्ष विभिन्न चुनौतियों पर प्रकाश डाला साथ ही कृषि उत्पादन में आशातीत वृद्धि के लिए अनेक उपाय भी सुझाये । उन्होंने कहा कि हमें पारम्परिक कृषि से स्मार्ट एग्रीकल्चर, समन्वित कृषि प्रणाली, सघन कृषि से उद्यमिता विविधिकरण, समन्वित फसल एवं कीट प्रबन्धन, हाईवेल्यू क्रोप, खाद्य प्रसंस्करण, मूल्य संवर्द्धन, एग्रीबिजनेस इत्यादि अनेक सुझावों के माध्यम से कृषि विकास का मार्ग प्रदर्शित किया । डॉ. व्यास ने बताया कि देश के कृषि विकास की कॅुजी नवाचार आधारित कौशल विकास में ही है, अतः देश के कृषि शिक्षा एवं अनुसन्धान संस्थानों की जिम्मेदारी अधिक है । 
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे एमपीयूऐटी के कुलपति डॉं. कर्नाटक ने कहा कि राजस्थान कृषि महाविद्यालय 1955 से स्थापित देश का अग्रणी कृषि संस्थान है जिससे अध्ययन प्राप्त विद्यार्थियों ने देश के सर्वाेच्च कृषि संस्थान जैसे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक, सह महानिदेशक, एवं देश विदेश के अनेक अन्य कृषि संस्थानों के अध्यक्ष, कुलपति, प्लानिंग कमीशन के सदस्य, कृषि अधिकारी, प्रबंधक बैंक अधिकारी एवं उच्च कोटि के कृषि वैज्ञानिक दिए हैं। अतः राजस्थान कृषि महाविद्यालय का देश के कृषि विकास मे महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होने कहा कि आजादी के बाद से ही हमारी कृषि उत्पादन में जबरदस्त वृद्धि हुई है लेकिन किसानों की आय में वॉंछित वृद्धि नहीं हुई है । आज हमें आवश्यकता इस बात की है कि किसानों की आय में द्वितीयक कृषि को अपना कर अपनी आय में आशातीत वृद्धि की जा सकती है । उन्होंने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण, मूल्य संवर्द्धन की परिकल्पना किसानों की आय दुगुनी करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है ।  
कार्यक्रम के प्रारंभ में पूर्व छात्र परिषद के अध्यक्ष डॉं विश्वनाथ जोशी ने  अतिथियों का स्वागत किया एवं डॉ ए.के. व्यास का जीवन परिचय दिया । महासचिव डॉ एस के भटनागर ने पूर्व छात्र परिषद् का वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया एवं कुसुम  राठौड़ ट्रस्ट की गतिविधियों से अवगत कराया । परिषद् के पेटर्न एवं आरसीए के अधिष्ठाता डॉं. श्याम सुन्दर शर्मा ने आरसीए के संस्थापक एवं प्रथम अधिष्ठाता डॉ. ए. राठौड़ का जीवन परिचय प्रस्तुत किया ।
सम्मेलन के दौरान कृषि में प्रशंसनीय योगदान के लिए श्री सूरजमल कंठालिया स्मृति श्रेष्ठ अध्यापक पुरस्कार अनुसन्धान निदेशक डॉं. शान्ति कुमार शर्मा एवं डॉं. के.एस. कुशवाह स्मृति पुरस्कार पूर्व आरसीए अधिष्ठाता डॉं. आर. स्वामिनाथन् को प्रदान किया गया । इसी प्रकार डॉं. यशवन्त कोठारी स्मृति में श्रेष्ठ कृषक पुरस्कार चित्तौड़ के श्री नेमीचन्द धाकड़ एवं श्रेष्ठ प्रसार शिक्षा कार्यकर्ता श्री भूपाल सिंह झाला को प्रदान किया गया । इसके अलावा विभिन्न संकायों में स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर पर प्रथम रहे विद्यार्थियों को विभिन्न 27 स्मृति पुरस्कार भी प्रदान किये गये ।   
पी.आर.ओ. डॉं. सुबोध शर्मा ने बताया कि कार्यक्रम में आरसीए के 300 पूर्व छात्र छात्राओं, उच्च अधिकारियों एवं गणमान्य अतिथियों ने भाग लिया जिनमें एमपीयुएटी के पूर्व कुलपति डॉं. पी.के. दशोरा, विश्वविद्यालय प्रबन्धन मण्डल सदस्य डॉं. शिव रतन मालू, संयुक्त सचिव राजस्थान सरकार डॉ. एस.पी. सिंह, अनेक पूर्व व वर्तमान निदेशक, अधिष्ठाता, विभागाध्यक्ष, संकाय सदस्य एवं विद्यार्थी प्रमुख थे । इस अवसर पर डॉं. एस.के. खण्डेलवाल, डॉं. के.बी. शुक्ला, डॉं. बी.आर. रणवा, डॉं. एस.सी. पालीवाल एवं डॉं. पियूष चौधरी द्वारा सम्पादित 21वें राष्ट्रीय सम्मेलन की सोवेनियर का विमोचन भी किया गया । साथ ही डॉं. आर. स्वामिनाथन् एवं एन.वाई. चानू द्वारा लिखित ग्राउण्ड बिटल्स इन एग्रोइक्को सिस्टम ऑफ सदर्न राजस्थान पुस्तक का भी विमोचन भी किया गया। ंपरिषद के कोषाध्यक्ष डॉं. बी.आर. रणवा ने  धन्यवाद ज्ञापित किया एवं कार्यक्रम का संचालन डॉं. रामहरी मीणा एवं डॉं. सुभाष भार्गव ने किया । 
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