'भारत की आवाज' फिल्म का शो हाउसफुल
आचार्य रमाकांत शुक्ल की इस फिल्म को लोगों का खूब प्यार मिला। इस मौके पर उनके परिवार के सभी सदस्य मौजूद रहे। उन सभी ने नम आंखों से फिल्म देखी और उन्हें याद किया।
“दर्शकों को इतना प्यार देख कर बहुत अच्छा लगा। आज भी डॉक्यूमेंट्री फिल्मों की वैल्यू है और उनको देखने वाली ऑडियंस की कमी नहीं है। बस आप का टॉपिक लोगो को पसंद आना चाहिए। सार्थक सिनेमा आज भी जीवित है”, फिल्म निर्देशक बीनू राजपूत।
१० मार्च २०२४ को, आचार्य रमाकांत शुक्ल पर बनी डॉक्यूमेंट्री फिल्म का शो दिल्ली के एलायंस फ्रैंकेज ऑडिटोरियम में हाउस फुल रहा। कई लोगों ने खड़े होकर फिल्म देखी। आचार्य रमाकांत शुक्ल की इस फिल्म को लोगों का खूब प्यार मिला। इस मौके पर उनके परिवार के सभी सदस्य मौजूद रहे। उन सभी ने नम आंखों से फिल्म देखी और उन्हें याद किया। बीनू राजपूत के निर्देशन में बनी इस फिल्म के पटकथा लेखक और निर्माता डॉ. ऋषिराज पाठक हैं। आचार्य रमाकान्त शुक्ल आधुनिक संस्कृत साहित्य के राष्ट्रवादी कवि रहे हैं। आचार्य शुक्ल की कविताओं का मुख्य स्वर भारत की राष्ट्रीय चेतना है। उन्होंने भारत की साहित्यिक परम्परा के संरक्षण और विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। यह फिल्म आधुनिक संस्कृत साहित्य के लोकप्रिय कवि आचार्य रमाकान्त शुक्ल के व्यक्तित्व और कृतित्व पर आधारित है। आचार्य शुक्ल की कविताओं का मुख्य स्वर राष्ट्रीय भावना है। उनकी रचनाओं में भाति मे भारतम्, भारतजनताहम्, जय भारतभूमे तथा अहं स्वतन्त्रता भणामि आदि विशेष लोकप्रिय हैं। आचार्य शुक्ल की रचनाओं ने भारत को समसामयिक स्वर दिए हैं। आचार्य शुक्ल की रचनाओं में प्रसाद गुण, सरल और प्रवाहपूर्ण भाषा, स्पष्ट उक्ति, सुन्दर शब्दशय्या और वास्तविकता की झांकी मिलती है। आचार्य रमाकान्त शुक्ल को उनकी साहित्यिक सेवाओं के लिए विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। इन सम्मानों में प्रमुख हैं पद्मश्री, राष्ट्रपति सम्मान प्रमाणपत्र और साहित्य अकादेमी पुरस्कार।
फिल्म के निर्माता ऋषिराज पाठक ने कहा कि उन्होंने गुरुशिष्य परम्परा के अन्तर्गत आचार्य रमाकान्त शुक्ल के प्रति एक श्रद्धांजलि समर्पण के रूप में इस फिल्म की योजना बनाई। ऋषिराज पाठक आचार्य रमाकान्त शुक्ल के शिष्य हैं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. ऋषिराज पाठक संस्कृत, हिन्दी और ब्रजभाषा के कवि, नाट्यकार, संगीतकार, वेदपाठी, आचार्य एवं शोध अध्येता हैं। ऋषिराज पाठक ने गुरु गंगेश्वरानन्द चतुर्वेद संस्थान, नासिक, महाराष्ट्र से गुरुमुख परम्परा के अनुसार चारों वेदों के सस्वर पाठों का अध्ययन किया है।
बीनू राजपूत भी एक प्रसिद्ध भारतीय फिल्म निर्माता हैं, जो अपनी डॉक्यूमेंट्री फिल्मों के लिए जानी जाती हैं, वे दिल्ली में रहती हैं। वह एक बहु-प्रतिभाशाली व्यक्तित्व, एक बुद्धिमान फिल्म निर्माता, एक शानदार कहानीकार, एक प्रसिद्ध शोधकर्ता और एक दार्शनिक विचारक हैं। उनकी अधिकांश फिल्में भारतीय कला, संस्कृति और साहित्य पर आधारित हैं, जिनमें समाज के लिए एक विचारोत्तेजक संदेश है। उनकी पुरस्कार विजेता फिल्में हैं बॉर्न टू डांस: ए ग्लिम्प्स इनटू द लाइफ ऑफ ए डांसर, वॉल ऑफ वेलोर: ए ट्रिब्यूट टू मार्टियर्स, बनारस: काबे-ए-हिंदोस्तान: गालिब'स ओड टू बनारस, बियॉन्ड बिलीफ: द रियल मिथबस्टर्स, लामा मणि: कला में कहानी कहने वाले, और कथक गांवों के कथक लॉग।
इस अवसर पर मुख्यातिथि के रूप में प्रोफ़ेसर राधावल्लभ त्रिपाठी उपस्थित हुए। उन्होंने फिल्म के प्रस्तोता ऋषिराज पाठक को बधाई देते हुए आचार्य रमाकान्त शुक्ल के साहित्यिक अवदान को रेखांकित किया। कार्यक्रम के अध्यक्ष आचार्य ओमनाथ बिमली ने इसे बहुत सार्थक कार्य के रूप में सराहा। संरक्षक आचार्य उमाकांत शुक्ल ने कहा कि यह लघुचित्र बनाकर निर्माता ने मेरे जैसे सभी संस्कृत प्रेमियों के प्रति उपकार किया है जिस वजह से मैं बहुत कृतज्ञ हूँ। इस अवसर पर अनेक संस्कृत प्रेमी, आचार्य और विद्यार्थी उपस्थित रहे।