माता पिता के आशीर्वाद और अपनी मेहनत के बदौलत श्रीगंगानगर के कुणाल वशिष्ठ ने एपीआरओ परीक्षा में पाई सफलता
एपीआरओ परीक्षा के बारे में कुणाल का कहना है कि उन्होंने यह पहला कम्पीटीशन एग्जाम दिया था और बिना किसी कोचिंग के खुद के स्तर से पढ़ाई की. जॉब के बाद जैसे ही समय मिलता वे किताबो से पढाई करते और उन्होंने सफलता प्राप्त की.
श्रीगंगानगर: अभी हाल ही में आयोजित हुई एपीआरओ परीक्षा में श्रीगंगानगर के कुणाल वशिष्ठ ने सफलता प्राप्त की और उनका चयन हो गया है. जयपुर से वापिस घर पहुँचने पर कुणाल का माता पिता ने मिठाई खिलाकर स्वागत किया. कुणाल ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता पिता और अपनी मेहनत को दिया है.
कुंज विहार निवासी 26 वर्षीय कुणाल वशिष्ठ ने अपनी स्कूली शिक्षा श्रीगंगानगर में प्राप्त की और उसके बाद कालेज की शिक्षा के लिए कुणाल जयपुर और दिल्ली चले गए. कुणाल के पिता अजय वशिष्ठ पीडब्ल्यूडी में एडमिनिस्ट्रेटिव आफिसर हैं और माता अनीता वशिष्ठ अध्यापिका हैं. कुणाल के अनुसार डिजिटल मीडिया में एक बूम आया और कोविड के दोरान यह भड़ा और यह पूरी तरह से चारो और छा गया ऐसे में इस इंडस्ट्री में सम्भावनाये है और एडवांस्ड टेक्नॉलजी को देखते हुए उन्होंने डिजिटल पीआर मीडिया को करियर बनाने के बारे में सोचा. कुणाल ने मुद्रा इंस्टिट्यूट ऑफ़ कम्युनिकेशन एंड आर्ट्स से डिजिटल मीडिया में पीजी डिप्लोमा किया. इसके बाद कई नामी कम्पनियो में डिजिटल मीडिया मेनेजर के पद पर कार्य किया. कुणाल ने खेल एवं युवा मामलात मंत्रालय, दिल्ली में डिजिटल मीडिया कसंल्टेंट के पद पर भी कार्य किया है.
एपीआरओ परीक्षा के बारे में कुणाल का कहना है कि उन्होंने यह पहला कम्पीटीशन एग्जाम दिया था और बिना किसी कोचिंग के खुद के स्तर से पढ़ाई की. जॉब के बाद जैसे ही समय मिलता वे किताबो से पढाई करते और उन्होंने सफलता प्राप्त की. सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर कुणाल का कहना है कि हर टेक्नॉलजी न्यूटल होती है और यह हम पर निर्भर करता है कि हम उसे किस तरह प्रयोग में लाते हैं. यदि इसे हम सकारात्मक तरीके से प्रयोग में लाते हैं तो यह हमारे और देश के लिए अच्छी साबित होती है और यदि नकारात्मक तरीके से प्रयोग में लाएंगे तो इसके बुरे प्रभाव भी देखने को मिलते हैं. कुणाल का कहना है कि वे प्रशासनिक सेवा में जाकर इलाके और देश के लिए कुछ करना चाहते हैं और इसके लिए वे आगे प्रयास करेंगे.