राजस्थान की लोक कला संस्कृति को आगे बढ़ाया जाएगा-महानिदेशक,जेकेके

Sun, 29 May 2022 06:05 PM (IST)
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राजस्थान की लोक कला संस्कृति को आगे बढ़ाया जाएगा-महानिदेशक,जेकेके

जेकेके:डेल्फिक के लोकसंगीत कार्यक्रम में गूंजी अलमस्त जोगी की भपंग स्वरलहरियाँ

भपंगवादक जुम्मा खां मेवाती एवं उनकी टीम ने वाद्य यंत्रों लोगों का मनमोहा 

पारम्परिक गीतों के माध्यम से समाज एवं परिवार में आ रही गिरावट पर प्रहार किया

राजस्थान की लोक कला संस्कृति को आगे बढ़ाया जाएगा-महानिदेशक,जेकेके

डेल्फिक काउंसिल ऑफ राजस्थान लोक कला, संगीत व संस्कृति संरक्षण एवं संवर्धन के तहत शनिवार सायं जेकेके में आयोजित अलमस्त जोगी कार्यक्रम में लोकप्रिय भपंग वादक जुम्मे खां मेवाती की भपंग स्वर लहरियों से कृष्णायान सभागार गूंज उठा। अलवर के पिनान गाँव के प्रसिद्ध भपंग वादक कलाकार जुम्मे खां मेवाती अपने ग्रुप के साथ वाद्य यंत्रों हारमोनियम,ढोलक,चिकारा,चिमटा के साथ प्रस्तुति देकर लोगों का मन मोह लिया।

कार्यक्रम में प्रमुख शासन सचिव, कला एवं संस्कृति तथा जेकेके की महानिदेशक गायत्री राठोड ने कहा कि राजस्थान में कला संस्कृति एवं लोक संगीत की समृद्द परम्परा हैं ।डेल्फिक काउंसिल ऑफ राजस्थान भी इसे आगे बढ़ाने एवं वैश्विक पहचान देने में जुटा हैं,जेकेके भी इसमें पूरा सहयोग करेगा। डेल्फिक काउंसिल ऑफ राजस्थान अध्यक्ष आईएएस श्रीमती श्रेया गुहा ने कहा किभपंग वाद्ययंत्र मेवाती लोक संस्कृति की धरोहर एवं पहचान है। भपंग एक तार का वाद्य यंत्र है जिसकी उत्पत्ति शिव जी के डमरू से मानी जाती है । मेवात क्षेत्र के मुस्लिम जोगी इसके वादन के साथ साथ ही लोक गीत भी अपने अनोखे अंदाज में सुनाते हैं। डेल्फिक काउंसिल ऑफ राजस्थान निरंतर कला एवं संस्कृति से जुड़े विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है और राजस्थान की कला एवं लोक संस्कृति के जीवंत रखने एवं अंतरराष्ट्रीय मंच पर बढ़ावा देने का कार्य कर रहा हैं ।

 इस कार्यक्रम में जुम्मे खां मेवाती की भपंग वादन की प्रस्तुति में उनके ग्रुप के 5 कलाकार राजेश,शमशु खान,छलिया खान ,रामवतार ,मासूम खान कलाकार चिमटा, हारमोनियम, ढोलक, भपंग और मंजीरे पर इस लोक संगीत कार्यक्रम को और अधिक रोचक एवं प्रभावशाली बनाने में इनका साथ दिया।

जुम्मे खां मेवाती उर्फ जुम्मा जोगी पारंपरिक गीतों भेद तेरा नही जाना……..जन-जन के भगवान* ,परम पिता से प्यार रहा नहीं……सुखी कोई परिवार नहीं,एक डोली चली……एक अर्थी चली* ,जीवन में खुश रहना…..तो झूठ बोलना बंद करो* सहित अन्य लोक गीतों के साथ सामाजिक मुद्दों (भ्रष्टाचार, सामाजिक भेदभाव, अशिक्षा) पर अपने व्यंग्य गीतों के माध्यम से सामाजिक जागृति एवं समाज में हो रहे दूषित वातावरण पर प्रहार कर सावधान भी किया तथा परिवारों में आ रही गिरावट को व्यंग्य गीतों से प्रकट किया।     

  कार्यक्रम में डेल्फिक काउंसिल ऑफ राजस्थान के न्यूज़ बुलेटिन *डेल्फिक डाइजेस्ट का भी विमोचन किया।बड़ी संख्या में कला प्रेमियों ने कार्यक्रम को पसंद किया ।